अपनी दादी, नानी और माँ से बातचीत कीजिए और (स्त्री-शिक्षा संबंधी) उस समय की स्थितियों का पता लगाइए और अपनी स्थितियों से तुलना करते हुए निबंध लिखिए। चाहें तो उसके साथ तसर्वरं भी चिपकाइए।
अपनी दादी, नानी और माँ से बातचीत कीजिए और (स्त्री-शिक्षा संबंधी) उस समय की स्थितियों का पता लगाइए और अपनी स्थितियों से तुलना करते हुए निबंध लिखिए। चाहें तो उसके साथ तसर्वरं भी चिपकाइए।
प्रश्न. अपनी दादी, नानी और माँ से बातचीत कीजिए और (स्त्री-शिक्षा संबंधी) उस समय की स्थितियों का पता लगाइए और अपनी स्थितियों से तुलना करते हुए निबंध लिखिए। चाहें तो उसके साथ तसर्वरं भी चिपकाइए।
उत्तर : ‘शिक्षा’ से अभिप्राय सीखना है। मनुष्य जीवनभर कुछ-न-कुछ सीखता रहता है। इसी सीखने के अंतर्गत पढ़ाई-लिखाई भी आती है। पढ़ाई-लिखाई के बिना मानव का जीवन पशु के समान होता है। इसलिए पढ़ाई-लिखाई का मानव के जीवन में बहुत महत्व है। प्राचीन समय में पढ़ाई-लिखाई का संबंध लड़कों तक सीमित माना जाता था, उसमें लड़कियों को नहीं के बराबर स्थान दिया जाता था। लड़कियों को इतनी शिक्षा दी जाती थी, जिससे वे केवल धर्म का पालन करना सीख सकें। अधिक शिक्षा लड़कियों के लिए अभिशाप समझी जाती थी।
लड़कियों को बचपन से ही घर सँभालने की शिक्षा दी जाती थी। उन्हें समझा दिया जाता था कि उनका कार्यक्षेत्र घर की चारदीवारी तक सीमित है, इसलिए उनके लिए अधिक शिक्षा महत्व नर्हीं रखती। उस समय लड़कियों के लिए अलग से पाठशालाएँ भी नहीं होती थीं। उस समय यदि किसी परिवार में शिक्षा के महत्व को समझकर लड़कियों को पढ़ा-लिखा दिया जाता था, तो उस परिवार की लड़कियों को अच्छी नज़रों से नहीं देखा जाता था। पढ़ाई-लिखाई लड़कियों को बिगाड़ने का साधन समझा जाता था।
लेकिन आज परिस्थितियाँ कुछ और हैं। आज के समय में लड़कों के समान लड़कियों के लिए भी पढ़ाई-लिखाई अनिवार्य है। आज के समय में लड़कियों को पढ़ाना उन्हें बिगाड़ने का साधन नहीं माना जाता अपितु उन्हें पढ़ाकर उनका भविष्य सुरक्षित किया जाता है। आधुनिक युग में लड़कियाँ हर क्षेत्र में लड़कों के साथ कदम-से-कदम मिलाकर चल रही हैं। सरकार, समाज और घर-परिवार में सभी लोग शिक्षा के महत्व को समझ गए हैं। शिक्षा ही देश की उन्नति में सहायक हैं। जब देश की नारी शिक्षित होगी, तभी हर घर शिक्षित होगा और वह देश के विकास में अपना सहयोग देगा।
लड़कियों को पढ़ाने के लिए सरकार ने भी कई तरह की योजनाएँ आरंभ की हैं। कई क्षेत्रों में लड़कियों को मुफ्त में शिक्षा दी जाती है। शहरों और गाँवों में लड़कियों के लिए अलग से पाठशालाएँ व कॉलेज खुले हुए हैं। आज की लड़कियाँ हर क्षेत्र में अपने पाँव जमा चुकी हैं। उन्होंने अपनी क्षमता को साबित किया है। आज की नारी अबला नहीं सबला है।
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