आजकल के संपादकों को किस तर्क से अनपढ़ कहा जा सकता है?

आजकल के संपादकों को किस तर्क से अनपढ़ कहा जा सकता है?

प्रश्न. आजकल के संपादकों को किस तर्क से अनपढ़ कहा जा सकता है?

उत्तर : हिंदी, बाँग्ला आदि भाषाओं को प्राकृत के अंतर्गत रखा जाता है। आजकल संपादक इन्हीं भाषाओं में अपना कार्य करते हैं। इसलिए यदि प्राकृत अनपढ़ों की भाषा मानी जाती है, तो आजकल के सभी संपादक; जो इन भाषाओं में लिखते-पढ़ते हैं; अनपढ़ हैं।

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