आरसी प्रसाद सिंह

आरसी प्रसाद सिंह

                        आरसी प्रसाद सिंह

आपका जन्म संवत् 1970 में इरावत, दरभंगा में हुआ। प्रखर भावुकता,
सजीव कल्पना तथा हृदय की वेदना आपकी कविताओं की विशेषता है। आपने
कुछ वीर- भावना – प्रधान रचनाएँ भी लिखी हैं। आप बिहार के कवियों में
लोकप्रिय हैं। कहीं-कहीं आप यथार्थवादी रूप में प्रकट होते हैं और जीवन की
तृष्णा, निराशा क्षुधा और सामाजिक उत्पीड़न का कठोर चित्रण भी करते हैं ।
कहीं-कहीं आपका कल्पनारूप भी प्रधान हो उठा है ‘कलापी’ आपका प्रथम
कविता-संग्रह है । आपकी अब तक बारह-चौदह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं,
जिनमें आरसी, संचयिता, कलापी, नई दिशा, पांचजन्य, जीवन और
यौवन (कविता-संग्रह), पंचपल्लव, खोटा सिक्का, कालरात्रि, एक प्याला
चाय, आँधी के पत्ते (कहानी-संग्रह) आदि प्रमुख है।
 
जीवन का झरना शीर्षक कविता में सतत् गतिशीलता का संदेश देता हैं
जीवन उस झरने के समान है जो अपने लक्ष्य तक पहुँचने की लगन लिए पथ
की बाधाओं से मुठभेड़ करता बढ़ता ही जाता है। गति ही जीवन है और स्थिरता
मृत्यु । अतः मनुष्य को भी निर्झर के समान निरन्तर गतिमान रहना चाहिए ।

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