आशय स्पष्ट कीजिए-“बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी : सब कुछ होम देने वालों पर हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।”

आशय स्पष्ट कीजिए-“बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम देने वालों पर हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।”

प्रश्न. आशय स्पष्ट कीजिए-“बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम देने वालों पर हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।”

उत्तर- उपरोक्त वाक्य से लेखक का आशय है कि उस देश के लोगों का क्या होगा, जो अपने देश के लिए सब कुछ न्योछावर करने वालों पर हँसते हैं। देश के लिए अपना घर-परिवार-जवानी, यहाँ तक कि अपने प्राण तक देने वालों पर लोग हँसते हैं; उनका मजाक उड़ाते हैं। दूसरों का मजाक उड़ाने वाले ऐसे लोग स्वार्थी होते हैं। ये छोटे से लाभ के लिए भी देश का अहित करने से पीछे नहीं हटते।

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