दबाव: समूहों तथा राजनीतिक दलों के आपसी सम्बन्धों का स्वरूप कैसा होता है ? वर्णन करें।

दबाव: समूहों तथा राजनीतिक दलों के आपसी सम्बन्धों का स्वरूप कैसा होता है ? वर्णन करें।

उत्तर: दबाव समूहों और राजनीतिक दलों के आपसी सम्बन्धों का स्वरूप निम्नलिखित प्रकार का होता है-
1. राजनीतिक दलों की शाखा के रूप में: कई मामलों में दबाव समूह राजनीतिक दलों के ही निर्मित होते हैं अथवा उनका नेतृत्व राजनीतिक दल के नेता ही करते हैं। कुछ दबाव समूह राजनीतिक दल की एक शाखा के रूप में कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए, भारत के अधिकांश मजदूर संगठन एवं छात्र संगठन या तो बड़े राजनीतिक दलों द्वारा निर्मित होते हैं अथवा उनकी संवद्धता राजनीतिक दलों से होती है।

2. राजनीतिक दलों का रूप ले लेनी: कभी-कभी आन्दोलन राजनीतिक दल का रूप ले लेते हैं। उदाहरण के रूप में, विदेशी लोगों के विरुद्ध छात्रों ने असम आन्दोलन का संचालन किया तथा जब इस आन्दोलन का समापन हुआ तो इसने असम गण परिषद नाम से राजनीतिक दल का रूप ले लिया।

3. राजनीतिक दलों के साथ संवाद: अधिकांश दबाव समूह एवं आन्दोलनों का राजनीतिक दलों के साथ प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं होता। दोनों परस्पर विरोधी पक्ष लेते हैं। इसके बावजूद उनके बीच संवाद कायम रहता है तथा समझौते की बातचीत चलती रहती है। आन्दोलनकारी समूहों ने नए-नए मुद्दे उठाये हैं तथा राजनीतिक दलों ने इन मुद्दों को आगे बढ़ाया है। राजनीतिक दलों के अधिकांशत: नए नेता दबाव समूहों अथवा आन्दोलनकारी समूहों से आते हैं।

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