द्विवेदी जी की भाषा-शैली पर एक अनुच्छेद लिखिए।

द्विवेदी जी की भाषा-शैली पर एक अनुच्छेद लिखिए।

प्रश्न. द्विवेदी जी की भाषा-शैली पर एक अनुच्छेद लिखिए।

उत्तर : द्विवेदी जी की भाषा शुद्ध खड़ी बोली हिंदी हैं, जिसमें उन्होंने ‘प्रगल्भ, पीयूष, कटु, उद्धत, सहधर्मचारिणी, पांडित्य, दुर्वाक्य’ जैसे तत्सम प्रधान शब्दों के साथ-साथ ‘मुमानियत, हरगिज़, गंवार, अपढ़, बम, सबूत, तिस, लवलैटर’ जैसे विदेशी, देशज तथा तद्भव शब्दों का भरपूर प्रयोग किया है। ‘छक्के छुड़ाना’ जैसे मुहावरों के प्रयोग ने भापा में सजीवता ला दी है। लेखक की शैली वर्णन प्रधान, भावपूर्ण एवं व्याख्यात्मक होते हुए भी व्यंग्य प्रधान है; जैसे -‘अत्रि की पत्नी पत्नी-धर्म पर व्याख्यान देते समय घंटों पांडित्य प्रकट करे, गार्गी बड़े-बड़े ब्रहमवादियों को हरा दे, मंडन मिश्र की सहधर्मचारिणी शंकराचार्य के छक्के छुड़ा दे ! गज़ब ! इससे भयंकर बात क्या हो सकेगी। यहृ सब दुराचार स्त्रियों को पढ़ाने ही का कुफल है। समझे। इस प्रकार लेखक ने अत्यंत सहज तथा रोचक भाषा-शैली का प्रयोग करते हुए अपने विषय का प्रतिपादन किया है।

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