‘नेताजी का चश्मा’ पाठ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए। अथवा ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ का संदेश क्या है? स्पष्ट कीजिए।

‘नेताजी का चश्मा’ पाठ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘नेताजी का चश्मा’ पाठ का संदेश क्या है? स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न. ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘नेताजी का चश्मा’ पाठ का संदेश क्या है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के लेखक स्वयं प्रकाश हैं। इस पाठ का उद्देश्य देश-प्रेम का वर्णन करना है। देश का निर्माण कोई अकेला नहीं कर सकता। जब-जब देश का निर्माण होता है, उसमें कुछ नाम प्रसिद्ध हो जाते हैं और कुछ गुमनामी के अँधेरे में खो जाते हैं। प्रस्तुत पाठ में भी यही दर्शाया गया है कि नगरपालिका वाले कस्बे के चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति लगवाते हैं। मूर्तिकार नेताजी की मूर्ति का चश्मा बनाना भूल जाता है। उस कस्बे में कैप्टन नाम का चश्मे बेचने वाला व्यक्ति है।

उसे बिना चश्मे के नेताजी का व्यक्तित्व अधूरा लगता है, इसलिए वह उस मूर्ति पर अपने पास से चश्मा लगवा देता है। सब लोग उसका मज़ाक उड़ाते हैं। उसके मरने के बाद नेताजी की मूर्ति बिना चश्मे के चौराहे पर लगी रहती है। बिना चश्मे की मूर्ति हालदार साहब को भी दुखी कर देती है। वे ड्राइवर से चौराहे पर बिना रुके आगे बढ़ने को कहते हैं, लेकिन अचानक उनकी नज़र मूर्ति पर पड़ती है।

उस पर किसी बच्चे द्वारा सरकंडे का बनाया चश्मा लगा हुआ था। यह दृश्य हालदार साहब को देशभक्ति की भावना से भर देता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि देश के निर्माण में करोड़ों गुमनाम व्यक्ति अपने-अपने ढंग से योगदान देते हैं। इस योगदान में बड़े ही नहीं अपितु बच्चे भी शामिल होते हैं। यही पाठ का उद्देश्य है।

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