परंपरा के उन्हीं पक्षों को स्वीकार किया जाना चाहिए जो स्त्री-पुरुष समानता को बढ़ाते हों-तर्क सहित उत्तर दीजिए।

परंपरा के उन्हीं पक्षों को स्वीकार किया जाना चाहिए जो स्त्री-पुरुष समानता को बढ़ाते हों-तर्क सहित उत्तर दीजिए।

प्रश्न. परंपरा के उन्हीं पक्षों को स्वीकार किया जाना चाहिए जो स्त्री-पुरुष समानता को बढ़ाते हों-तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर : लेखक का यह कथन स्वीकार करने योग्य है कि हमें परंपरा के उन्हीं पक्षों को अपनाना चाहिए, जो स्त्री-पुरुष की समानता को बढ़ाते हों। मनुष्य का जीवन अकेले नहीं चल सकता। उसकी जीवन-यात्रा स्त्री-पुरुष के सहयोग से ही चलती है। यदि जीवनरूपी गाड़ी का एक पहिया मज़बूत और दूसरा कमज़ोर होगा, तो गाड़ी ठीक से नहीं चल पाएगी। इसलिए दोनों को ही जीवनरूपी गाड़ी को सुचारु रूप से चलाने के लिए समान रूप से योग्य बनना चाहिए।

यह तभी संभव हो सकता है, जब दोनों को  शिक्षा, खान-पान, मान-सम्मान के समान अवसर प्रदान किए जाए। घरों में लड़के के जन्म पर खुशियाँ और लड़की के जन्म पर मातम नहीं मनाना चाहिए। लड़की की भ्रूण-हत्या बंद होनी चाहिए। संसार में जैसे लड़के के आने का स्वागत होता है, वैसे ही लड़की के जन्म पर भी होना चाहिए। जब तक हम लड़की-लड़के के भेद को समाप्त करके दोनों को समान रूप से नहीं अपनाते, भविष्य में उनकी जीवन गाड़ी भी ठीक से नहीं चल सकती। इसलिए हमें अपनी उन्हीं परंपराओं को अपनाना चाहिए, जिनमें स्त्री-पुरुष की समानता की प्रतिष्ठा हो।

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