‘मन्नू भंडारी की माँ त्याग और धैर्य की पराकाष्ठा थी- फिर भी लेखिका के लिए आदर्श न बन सकी।’ क्यों?

‘मन्नू भंडारी की माँ त्याग और धैर्य की पराकाष्ठा थी- फिर भी लेखिका के लिए आदर्श न बन सकी।’ क्यों?

प्रश्न. ‘मन्नू भंडारी की माँ त्याग और धैर्य की पराकाष्ठा थी- फिर भी लेखिका के लिए आदर्श न बन सकी।’ क्यों?

उत्तर- लेखिका की माँ एक अनपढ़ घेरलू महिला थी। उनमें धैर्य और सहनशक्ति अधिक थी। उनके सभी काम पति और बच्चों के इर्द-गिर्द घूमते थे। वे हर समय सबकी सेवा में तत्पर रहती थी, जैसे उन सबका काम करते रहना ही उनका फर्ज़ था। इस तरह उनका कार्य क्षेत्र घर और रसोईघर तक सीमित था। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में कभी किसी से अपने लिए कुछ नहीं माँगा था। उन्होंने दूसरों को अपने पास से सदैव दिया ही था। माँ का त्याग और सहनशीलता लेखिका का आदर्श कभी नहीं बन पाया था।

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