लड़कियों की शिक्षा के प्रति परिवार और समाज में जागरूकता आए-इसके लिए आप क्या-क्या करेंगे?

लड़कियों की शिक्षा के प्रति परिवार और समाज में जागरूकता आए-इसके लिए आप क्या-क्या करेंगे?

प्रश्न. लड़कियों की शिक्षा के प्रति परिवार और समाज में जागरूकता आए-इसके लिए आप क्या-क्या करेंगे?

उत्तर : अभी भी कई स्थानों पर लड़कियों की शिक्षा को अनिवार्य नहीं माना जाता। आज भी कई परिवारों में लड़कियों की शिक्षा को लड़कों की अपेक्षा कम महत्व दिया जाता है। उन्हें घर पर एक बोझ के रूप में देखा जाता है, जिसे माँ-बाप उसकी शादी करके उतारना चाहते हैं। ऐसे लोगों को लड़कियों की शिक्षा के महत्व को समझाने के लिए जगह-जगह नुक्कड़ नाटक होने चाहिए। नुक्कड़ नाटकों में लड़कियों के लिए शिक्षा क्यों अनिवार्य है, दिखाना चाहिए।

लड़कियों और लड़कों में कोई अंतर नहीं होता, लोगों में इस सोच को बढ़ावा देना चाहिए। लड़कियाँ माँ-बाप पर बोझ नहीं होती अपितु पढ़-लिखकर वे अपने माता-पिता की ज़िम्मेदारियों का बोझ हल्का करती हैं। यदि लड़कियाँ पढ़-लिखकर आत्मनिर्भर हो जाए, तो दहेज जैसी कुप्रथा स्वयं ही दूर हो जाएँगी। पढ़-लिखकर लड़कियों में अच्छे-बुरे की समझ आ जाती है। वे समाज में फैली हर कुरीति का डटकर सामना कर सकती हैं तथा माता-पिता का नाम रोशन कर सकती हैं। परिवार, समाज तथा देश की उन्नति में लड़कियाँ लड़कों से अधिक सहायक होती हैं। शिक्षित लड़कियाँ ही परिवार और समाज को शिक्षित बनाती हैं और उन्हें देश की प्रगति में सहायक होने के लिए प्रेरित करती हैं।

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