लेखक के मतानुसार परम्पराएँ क्या होती हैं? अथवा परम्पराएँ विकास के मार्ग में अवरोधक हों तो उन्हें तोड़ना ही चाहिए। ‘स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन’ के आधार पर लिखिए।
लेखक के मतानुसार परम्पराएँ क्या होती हैं?
अथवा
परम्पराएँ विकास के मार्ग में अवरोधक हों तो उन्हें तोड़ना ही चाहिए। ‘स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन’ के आधार पर लिखिए।
प्रश्न. लेखक के मतानुसार परम्पराएँ क्या होती हैं?
अथवा
परम्पराएँ विकास के मार्ग में अवरोधक हों तो उन्हें तोड़ना ही चाहिए। ‘स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन’ के आधार पर लिखिए।
उत्तर : लेखक के मतानुसार परम्पराएँ मानव द्वारा बनाई गई वे बेड़ियाँ हैं, जिनमें वह अपनी सुविधानुसार लोगों को जकड़ने का प्रयास करता है। प्राचीन समय में परम्परा का हवाला देकर नारी को चारदीवारी में कैद करके रखा जाता था। उसकी आजादी को परम्परा की जंजीरों से जकड़ा जाता था। परम्परा के नाम पर उस पर सैकड़ों आदेश तथा नियम लाद दिए जाते थे। आज भी समाज में पुरुष प्रधानता है, जिसके कारण आज भी परम्परा के नाम पर नारी पर निर्दयता तथा अत्याचार जारी हैं। जब भी परंपराएँ विकास के मार्ग में अवरोधक बन जाए तो उन्हें अवश्य तोड़ देना चाहिए।
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