लेखिका ने ऐसा क्यों कहा कि कॉलेज के दिन ‘मूल्यों के मंचन के दिन थे ?
लेखिका ने ऐसा क्यों कहा कि कॉलेज के दिन ‘मूल्यों के मंचन के दिन थे ?
प्रश्न. लेखिका ने ऐसा क्यों कहा कि कॉलेज के दिन ‘मूल्यों के मंचन के दिन थे ?
उत्तर-कॉलेज जाने से पूर्व लेखिका दुनिया परिवार, पड़ोस तथा मोहल्ले तक ही सीमित थी। लेकिन जब यह दायरा पार करके उसने कॉलेज में प्रेमचंद, अज्ञेय, जैनेन्द्र, यशपाल, भगवती चरण वर्मा आदि के लेखों एवं रचनाओं को पढ़ा, तो उसे लगा जैसे उसके नैतिक मूल्यों एवं सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन होना चाहिए। इसलिए लेखिका ने कहा कि वे दिन मूल्यों के मंचन के दिन थे।
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