वन और वन्य-जीव संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों पर एक निबन्ध लिखिए।
वन और वन्य-जीव संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर: भारत एक विभिन्न सांस्कृतिक विविधता वाला देश है। यहाँ प्रकृति को पहले से ही पवित्र मानकर उसकी पूजा होती रही है। यहाँ के लोग पारम्परिक रूप से पेड़-पौधों, पशु-पक्षी, पर्वत, जल-स्रोतों आदि के उपासक रहे हैं। अपने रीति-रिवाजों द्वारा भारतवासी इनके प्रति अपनी श्रद्धा को प्रकट करते आ रहे हैं। रीति-रिवाजों के कारण ही बहुत-से वन क्षेत्र अपने कौमार्य रूप में आज भी विद्यमान हैं।
इन रिवाजों में वन व वन्य-जीवों से सम्बन्धित कुछ रीति-रिवाज महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये वन एवं वन्य-जीवों को सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान करते हैं। राजस्थान में बिश्नोई समाज के लोग खेजड़ी के वृक्ष, काले हिरन, नीलगाय व मोर आदि जीवों को सुरक्षा व संरक्षण प्रदान करते हैं। ओडिशा व बिहार राज्य की कुछ जनजातियाँ विवाह समारोह के दौरान इमली व आम के वृक्षों की पूजा करती हैं। छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्रों में मुंडा और संथाल जनजातियों महुआ और कदम्ब के वृक्षों की पूजा करती हैं।
भारत के कई स्थानों पर पीपल व वटवृक्ष की पूजा की जाती है। तुलसी के पौधे की सम्पूर्ण भारत में हिन्दुओं द्वारा पूजा की जाती है। भारत के विभिन्न भागों में मन्दिरों के आसपास दिखने वाले बंदरों व लंगूरों को लोगों को केले व चने आदि खिलाते हुए देखा जा सकता है। हिन्दू समाज में गाय को एक पवित्र पशु माना जाता है। इस तरह हम देखते हैं कि रीति-रिवाजों द्वारा वन और वन्य-जीवों को पर्याप्त संरक्षण व सुरक्षा मिलती है।
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