सुन्दर का ध्यान कहीं सुन्दर
सुन्दर का ध्यान कहीं सुन्दर
सुन्दर का ध्यान कहीं सुन्दर
सौ-सा अँधियारी रातों स, तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
मुख से मुख-छवि पर लज्जा का, झीना परिधान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
दुनिया देखी पर कुछ न मिला, तुझको देखा सब कुछ पाया
संसार-ज्ञान की महिमा से, प्रिय की पहचान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
जब गरजे मेघ, पपीहा बोले, बोलें- डोलें गुलजारों में
लेकिन काँटों की झाड़ी में, बुलबुल का गान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
संसार अपार महासागर मानव लघु-लघु जलयान बने
सागर की ऊँची लहरों से चंचल जलयान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
तू सुन्दर है पर तू न कभी, देता प्रति उत्तर ममता का
तेरी निष्ठुर सुन्दरता से, मेरे अरमान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
देवालय का देवता मौन पर मन का देव मधुर बोले
इन मन्दिर-मस्जिद गिरजा से, मन का भगवान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर