सूचना एकत्रित करें कि उद्योग किस प्रकार हमारे जल-संसाधनों को प्रदूषित कर रहे हैं ?
सूचना एकत्रित करें कि उद्योग किस प्रकार हमारे जल-संसाधनों को प्रदूषित कर रहे हैं ?
उत्तर: अधिकांश उत्पादन जल के उपयोग पर निर्भर हैं तथा उत्पादन प्रक्रिया के अन्त में उद्योगों से निकलने वाला बहिस्राव हानिकारक अपशिष्ट पदार्थों से युक्त रहता है जिनका निस्तारण अति आवश्यक होता है। सदा से ही उद्योगों को जल की माँग की पूर्ति के लिए तथा अपशिष्ट पदार्थों के सुगम निस्तारण के उद्देश्य से अधिकांशत: बड़ी नदियों तथा तालाबों के किनारे स्थापित किया जाता रहा है।
उद्योगों को यह आर्थिक सुरक्षा एवं सुविधा की दृष्टि से लाभप्रद भी होता है कि जो भी अनुपचारित बहिःस्राव हो तो उसे निकटतम जलाशय में सन्निक्षेपित कर दिया जाये। प्रारम्भ में तो इसके दुष्परिणाम परिलिक्षित नहीं होते, पर जैसे-जैसे औद्योगीकरण बढ़ता है, नदी तथा तालाब औद्योगिक अपशिष्टों की मात्रा में वद्धि के कारण अधिकाधिक प्रदूषित होते जाते हैं। यही कारण है कि औद्योगिक रूप से विकसित देशों के तो अधिकांश बड़े जलस्रोत गंभीर रूप से सन्दूषित होकर नष्ट होने की स्थिति में पहुँच गये हैं।
प्रत्येक उद्योग में उत्पादन प्रक्रिया के उपरान्त अनेक अनुपयोगी पदार्थ शेष बचे रहते हैं। अधिकांश उद्योगों के बहिःस्राव में अनेक धात्विक तत्व तथा अम्ल, क्षार, लवण, तेल, वसा आदि रासायनिक पदार्थ उपस्थित रहते हैं, जिनसे गम्भीर जल प्रदूषण की सम्भावना रहती है। लुगदी कागज उद्योग, शक्कर उद्योग, कपड़ा उद्योग, चमड़ा उद्योग, शराब उद्योग, औषधि निर्माण उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एवं रासायनिक उद्योगों द्वारा विशाल मात्रा में विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट बहिःस्राव रूप में जलमार्गों में बहाये जाते हैं।
विभिन्न धातुओं के खनन के पश्चात् खुली खदानों में वर्षा-काल में जल के साथ बहकर बहुत-सी खनिज मृदा भी जलाशयों में जा मिलती है। इस मृदा में अनेक धातु अयस्क पर्याप्त मात्रा में होते हैं जो जलस्रोतों में प्रदूषणकारी परिवर्तन ला देते हैं। इनके अतिरिक्त पारा, ताँबा, केडमियम भी प्रमुख विपैली धातुएँ हैं जो औद्योगिक स्रोतों से जल में जा मिलती हैं। जिससे जल-संसाधन अत्यधिक प्रदूषित हो जाते हैं।
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here