स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं’-कुतर्कवादियों की इस दलील का खंडन द्विवेदी जी ने कैसे किया है? अपने शब्दों में लिखिए।

स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं’-कुतर्कवादियों की इस दलील का खंडन द्विवेदी जी ने कैसे किया है? अपने शब्दों में लिखिए।

प्रश्न. स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं’-कुतर्कवादियों की इस दलील का खंडन द्विवेदी जी ने कैसे किया है? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर : स्त्री-शिक्षा विरोधी कुतर्कवादियों का यह कहना उचित नहीं है कि स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होता है। शकुंतला द्वारा अपने सम्मान की रक्षा के लिए कुछ कहना यदि अनर्थ है, तो यह उचित नहीं है। यदि पढ़ी-लिखी स्त्रियों का अपने सम्मान की रक्षा के लिए किया गया कार्य या विचार अनर्थ है, तो पुरुषों द्वारा किया गया अनर्थ भी उनकी पढ़ाई-लिखाई के कारण है। समाज को गलत मार्ग पर ले जाने का कार्य पुरुष ही करते हैं। डाके डालना, चोरी करना, घूस लेना, बुरे काम करना आदि पुरुष-बुद्धि की ही उपज है।

इसलिए सभी स्कूल-कॉलेज बंद कर देने चाहिए, जिससे पुरुष भी अनर्थ करने की शिक्षा न ले सकें। लेखक ने शकुंतला के दुष्यंत को कहे कटु वाक्यों को एक स्त्री के सम्मान की रक्षा के लिए प्रयुक्त किए गए वाक्य बताया है। सीता जी ने भी अपने परित्याग के समय राम जी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वह अपनी शुद्धता अग्नि में कूदकर सिद्ध कर चुकी थी। अब वह तो लोगों के कहने पर राम जी ने उनका परित्याग करके अपने कुल के नाम पर कलंक लगाया है। सीता जी का राम जी पर यह आरोप क्या उन्हें अशिक्षित सिद्ध करता है? वह महाविदुषी थी।

एक स्त्री का अपने सम्मान की रक्षा के लिए बोलना उचित है। यह पढ़-लिख कर अनर्थ करना नहीं है। अनर्थ पढ़ाईलिखाई की नहीं अपितु हमारी सोच की उपज है। स्त्रियों की पढ़ाई-लिखाई से समाज और घर में अनर्थ नहीं होता। पढ़ाई-लिखाई से स्त्रियों को अच्छे-बुरे का ज्ञान होता है और वे समाज की उन्नति में सहायक सिद्ध होती है।

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