स्व-प्रेरणा जनित उपलब्धि बुद्धिमान व्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ गुण
स्व-प्रेरणा जनित उपलब्धि बुद्धिमान व्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ गुण
स्व-प्रेरणा जनित उपलब्धि बुद्धिमान व्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ गुण
जो खुद के कल से आज को बेहतर बनाना चाहता है, जो प्राप्त हो चुका उस
उपलब्धि पर नहीं इठलाता है, बल्कि प्राप्त हो गई हर उपलब्धि के वर्तमान क्षण को
सजाता है, वह व्यक्ति जीवन की श्रेष्ठतम सम्भावना का साक्षात्कार कर पाता है.
हम में से प्रत्येक व्यक्ति को सतत् आगे बढ़ना होता है, हर दिन अपने कर्म
क्षेत्र में खुद की योग्यताओं को विकसित करना होता है, अन्यथा हम पिछड़ जाएंगे
और पछाड़ दिए जाएंगे. हमें हार नहीं जीत पसंद है. अपमान नहीं स्व-मान पसंद है, तो
निश्चित है कि हर हाल में हमारा विकास हो, हम अपने कल से आज को बेहतर
बनाएं. इसके लिए हमें प्रेरणा तो चाहिए ही, परन्तु हमारी प्रेरणा टीवी के विज्ञापन न हों.
स्कूल, कॉलेज या नगर राज्य के इलेक्शन ना हों, बढ़ती महँगाई की मार या गलाकट
प्रतिस्पर्धी माहौल ना हो. हमारी प्रेरणा का स्रोत बाहरी चुनौतियाँ या दबाव न हों.
हमारी प्रेरणा किसी दुःखद घटना का, मृत्यु शोक या वियोग का इंतजार न करें. हमारे
विकास की प्रेरणा किसी परीक्षा की घड़ी की मोहताज न बने.
हमें हर दिन को अपना अन्तिम दिन समझते हुए अपने जीवन के सर्वश्रेष्ठ कृत्यों
को आज ही पूरा कर लेना है और इसके लिए हमारी प्रेरणा कोई और नहीं हम स्वयं
बनें. हम ही अपने हालातों को बुनें. हमारे जीवन का पथ हम चुनें.
प्रेरणाओं के स्रोत अनेक हैं–
(1) इच्छाओं से उत्पन्न प्रेरणा-यह भी भीतर से ही उत्पन्न होती है.
अक्सर हम सभी इच्छा जनित प्रेरणा के चलाए चलते हैं और इच्छानुसार प्रवृत्ति
करने में जीवन भर मशगूल रहते हैं, किन्तु हमारी इच्छाएं कभी तृप्त नहीं होतीं. जब
हम एक स्तर तक पहुँचते हैं तुरन्त दूसरे को देखकर मन में प्रतिस्पर्धा जगती है और
तुलनात्मक रीडिंग चालू हो जाती है. इस तरह हम सदा आगे बढ़ते जाते हैं. इच्छा
जनित प्रेरणा में अगर दुर्भावना हो, हीन भावना न हो, प्रदर्शन की गौरव परक भावना
न हो, अधीरता से उत्पन्न निराशा न हो तो इंसान अपने जीवन में एक चिर स्थायी
समृद्धि व वैभव प्राप्त कर पाता है. इच्छाएं उठना मनुष्य के मन का स्वाभाविक क्रम है.
अगर हम इच्छाओं को अपने विवेक से संशुद्ध (Filter) करके अपनाएं तो जीवन
सुखद बनता है. अन्यथा लोगों को इच्छाओं की बेलगाम दौड़ में गिर पड़ कर मर जाते
देखा गया है. कई लोग किसी एक फील्ड में अपनी अनियंत्रित इच्छाओं के दबाव में
आकर कुछ इस कदर अतिक्रमण कर बैठते हैं कि वे अपने दुष्कृत्यों का फल भोग बहुत
तड़प-तड़प कर करते हैं, जैसे आज के युवाओं में शोर्टकट धन कमाने की बेलगाम
इच्छा ने उन्हें जुआ सट्टा, चोरी, विश्वासघात तक करने को उतारू बना
दिया. वे अपने ही माता-पिता के धन को चुराकर अपना कर्जा उतार रहे हैं अथवा
अय्याशी करते पाए जा रहे हैं. ये अनियंत्रित इच्छाएं व अविवेकजनक प्रेरणाएं आदमी के
पूरे जीवन पर कालिख पोत देती हैं. दोस्तों के साथ रिश्तों को सुनकर अपने लिए भी
किसी को फँसाने की चेष्टा, किसी की कमी को जानकर उसको ब्लेकमेल करने की
चेष्टा, जो आज के युवाओं में देखी जा रही है, उसके लिए समाज के अनुभवी लोग
बेहद शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं. अपने कॅरियर के बचाव के लिए भी कई लोग
औरों का जीवन उजाड़ने में संकोच नहीं करते हैं. इस प्रकार की इच्छाजनित प्रेरणाएं
आदमी को भयंकर गर्त में डाल रही हैं.
(2) प्रदर्शन जनित प्रेरणाएं-जब अपने से अधिक उच्च उपलब्धि वालों को देखकर,
उनके खर्चे, उनके शौक-मौज को जान-देखकर आपमें कोई प्रेरणा जागृत होती है
और आप भी वैसा बनने की चेष्टा में प्रयासरत् रहते हैं तब वह प्रदर्शन जनित
प्रेरणा कहलाती है. आजकल हॉलीवुड व बॉलीवुड को देख-देखकर लोग अपना
जीवन भी वैसे ही नाटकीय अंदाज में जीना पसन्द करते हैं, यह उनकी ख्वाहिश बन
जाती है कि वे भी हनीमून मनाने विदेशों में जाएं, शादी-विवाह किसी क्रूज पर रचाएं,
अपने घर में बन ठन कर बैठ जाएं व नौकरों से अपना हर काम कराएं, इस तरह
की प्रतिष्ठा पाने के लिए भी लोग बहुत कुछ करने में तत्पर दिखलाई पड़ते हैं. बिना
थके अत्यधिक परिश्रम करते हुए धनोपार्जन करके उसे विलासिता के साधनों पर खर्च
कर सकें पर जरा सोचिए, यह कहाँ की बुद्धिमानी है. क्या कोई आदमी, जो
समझदार है, वह इसलिए अपने आपको नैतिक-अनैतिक धंधों में लिप्त करेगा या
अत्यधिक परिश्रम करके स्वास्थ्य को बिगाड़ेगा जिसके फलस्वरूप वह कल का
आराम पा सके और बड़ी बीमारी हो जाने पर बड़े हॉस्पीटल में नामी-गिरामी डॉक्टर
से इलाज पा सके क्या हम कल के खर्चों के लिए आज को खराब करना पसंद
करेंगे? अगर नहीं तो हमें हमारी आज की जीवनशैली व कार्यशैली में मौजूद प्रेरणा
के तल को पहचान लेना बहुत जरूरी है हमें विलासी जीवन जीने की इच्छा से आज
के स्वास्थ्य की हानि पहुँचाने वाली शैली को अपनाना बिल्कुल भी विवेकपूर्ण नहीं होगा.
(3) विवेक जनित प्रेरणा-यही प्रेरणा बुद्धिमानी का लक्षण है बुद्धिमान इंसान की
यह पहचान है कि वह इच्छाओं के वशीभूत होकर या अधीर बनकर किसी भी काम को
करने में उतावला नहीं होता, वह सोच-समझकर बोलता लिखता पढ़ता या करता
है. बुद्धिमान इंसान कभी भी औरों की देखा-देखी नहीं करता.
बुद्धिमान कभी भी औरों से प्रभावित होकर कुछ भी कृत्य-अकृत्य नहीं कर बैठता
है, उसकी उपलब्धियाँ न किसी दिखावे की मोहताज होती हैं, न ही किसी नकल या
अंधविश्वास की उपज उसे जब जहाँ जो ठीक लगता है, वही करता है और आवश्यक
ही बोली बोलता है.
ऐसे बुद्धिमानों द्वारा ही जमाना गौरव पाता है और युगों-युगों तक उनके गौरव
गीत गाता है.
आत्मप्रेरित व विवेकप्रेरित जिन्दगी जीने वाला समझदार इंसान अपनी सानी आप
होता है, वह विशिष्ट अहसासों से जीता हुआ, जो कुछ भी उपलब्धियाँ हासिल
करता है, वे उपलब्धियाँ ही उसका सर्वश्रेष्ठ गुण बनकर स्वर्णिम इतिहास की रचना कर
डालती हैं. आत्मप्रेरित जीने के लिए आपको स्वयं को जानना व अपने लक्ष्य की और
उसकी प्राप्ति के मार्ग की स्पष्ट समझ रखना अति आवश्यक है.
बेहतर तो यही है कि हम आत्मप्रेरित होकर जीने के लिए अपने भीतर अपना
जमीर जगाएं, अपने इष्ट को पहचानें और अपनी योग्यताओं का सृजनात्मक उपयोग
करना सीखें
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