हजारी प्रसाद द्विवेदी

हजारी प्रसाद द्विवेदी

                         हजारी प्रसाद द्विवेदी

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी हिन्दी के शीर्षस्थानीय साहित्यकारों में हैं । वे
उच्चकोटि के निबन्धकार, उपन्यास लेखक, आलोचक, चिन्तक तथा शोधकर्ता
हैं। साहित्य के इन सभी क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा और विशिष्ट कर्तव्य के कारण
विशेष यश के भागी हुए हैं। उनका व्यक्तित्व गरिमामय, चित्तवृत्ति उदार और
दृष्टिकोण व्यापक है । उनकी प्रत्येक रचना पर उनके इस व्यक्तित्व की छाप
देखी जा सकती है ।
 
द्विवेदी जी न केवल हिन्दी साहित्य के इतिहासकार हैं बल्कि वह एक श्रेष्ठ
उपन्यासकार और ललित निबन्धकार के रूप में हिन्दी के शीर्ष व्यक्तित्व हैं ।
उनका उपन्यास ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’ हिन्दी उपन्यास का गौरव है। उनकी
महत्वपूर्ण कृतियों में अशोक के फूल, कुटज, नाखून क्यों बढ़ते हैं,
कल्पलता जैसे ललित निबन्ध-संग्रह हिन्दी की धरोहर हैं। उन्होंने अपने ललित
निबन्धों में मनुष्य की सभ्यतां यात्रा पर दृष्टिपात करते हुए उसकी मानवीय
संवेदना को जगाने का सृजनात्मक प्रयास किया है। अन्य ग्रंथों में हिन्दी
साहित्य की भूमिका, हिन्दी साहित्य का उद्भव और विकास, नाथ-सम्प्रदाय,
विचार प्रवाह, विचार और वितर्क, कालिदास की लालित्य-योजना महत्वपूर्ण
माने जाते हैं ।
 
      आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने रवीन्द्रनाथ ठाकुर शीर्षक निबन्ध में
विश्वकवि के व्यक्तित्व के उन पक्षों पर दृष्टिपात किया है जो सामान्य लोगों
की दृष्टि से ओझल हो जाते हैं। रवि बाबू की महानता का आधार समर्पित भाव
से सरस्वती की साधना है और उनकी साधना का एकमात्र उद्देश्य मनुष्यता की
सेवा हैं यही कारण है कि बिना किसी शैक्षणिक डिग्री के होते हुए भी कवि
बाबू अपने स्वाध्याय, अथक परिश्रम और व्यापक मानवीय दृष्टि के बल पर
विश्वकवि के गौरव से विभूषित हुए ।

Amazon Today Best Offer… all product 25 % Discount…Click Now>>>>

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *