हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा

हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा

प्रश्न. हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा

(क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है? अथवा क्या प्रदर्शित करता है?
(ग) हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?
उत्तर- (क) हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे, क्योंकि वे चौराहे पर लगी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति को बिना चश्मे के देख नहीं सकते थे। जब से कैप्टन की मृत्यु हुई थी, किसी ने भी नेताजी की मूर्ति पर चश्मा नहीं लगाया था। इसलिए जब हालदार साहब कस्बे से गुजरने लगे, तो उन्होंने ड्राइवर से चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना कर दिया था।

(ख) हालदार साहब जब चौराहे से गुज़रे, तो न चाहते हुए भी उनकी नज़र नेताजी की मूर्ति की ओर चली गई। मूर्ति देखकर उन्हें आश्चर्य हुआ, क्योंकि उस पर सरकंडे का चश्मा लगा हुआ था। यह देखकर हालदार साहब को उम्मीद हुई कि आज के बच्चे कल देश के निर्माण में सहायक होंगे और अब उन्हें कभी भी चौराहे पर नेताजी की बिना चश्मे वाली मूर्ति नहीं देखनी पड़ेगी।

(ग) नेताजी की मूर्ति पर बच्चे के हाथ से बना सरकंडे का चश्मा देखकर हालदार साहब भावुक हो गए। पहले उन्हें ऐसा लग रहा था कि अब नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाने वाला कोई नहीं रहा। इसलिए उन्होंने ड्राइवर को वहाँ रुकने से मना कर दिया था। परंतु जब उन्होंने मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा देखा, तो उनका मन भावुक हो गया। उन्होंने नम आँखों से नेताजी की मूर्ति को प्रणाम किया।

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