120 शब्दों में निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

120 शब्दों में निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

(i) भारत में विभिन्न समुदायों ने किस प्रकार वनों तथा वन्य-जीव संरक्षण और रक्षण में योगदान किया है? विस्तारपूर्वक विवेचना करें।
उत्तर:
(i) भारत में विभिन्न समुदायों द्वारा वन, वन्य-जीव संरक्षण तथा वन रक्षण के लिए किए गए योगदान को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है.

(ii) राजस्थान के अलवर जिले के सरिस्का बाघ रिजर्व में स्थानीय गाँवों के लोग वन्य जीव रक्षण अधिनियम के अन्तर्गत वहाँ से खनन कार्य बन्द करवाने के लिए संघर्षरत हैं।

(iii) अलवर (राजस्थान) के 5 गाँवों के लोगों ने 1200 हेक्टेयर वन भूमि को भैरोंदेव डाकव ‘सोंचुरी’ घोषित कर दिया है जिसके अपने ही नियम हैं जो शिकार वर्जित करते हैं एवं बाहरी लोगों की घुसपैठ से यहाँ के वन्य-जीवों को बचाते हैं।

(iv) उत्तराखण्ड का प्रसिद्ध ‘चिपको आन्दोलन’ कई क्षेत्रों में वन कटाई रोकने में ही सफल नहीं रहा बल्कि इसने स्थानीय पौधों की प्रजातियों की वृद्धि में भी योगदान दिया है। उत्तराखण्ड राज्य के टिहरी जिले के किसानों का ‘बीज बचाओ आन्दोलन’ एवं ‘नवदानय’ ने रासायनिक खादों के स्थान पर जैविक-खाद का प्रयोग करके यह दिखा दिया है कि आर्थिक रूप से व्यवहार्य कृषि उत्पादन किया जाना सम्भव है।

(v) भारत में संयुक्त वन प्रबन्धन कार्यक्रम ने भी वनों के प्रबन्धन एवं पुनर्जीवन में स्थानीय समुदाय की भूमिका को उजागर किया है। औपचारिक रूप से इन कार्यक्रमों का शुभारम्भ सन् 1988 में ओडिशा राज्य से हुआ। यहाँ ग्राम स्तर पर इस कार्यक्रम को सफल बनाने के उद्देश्य से संस्थाएँ बनाई गईं जिनमें ग्रामीण तथा वन विभाग के अधिकारी संयुक्त रूप से कार्य करते हैं।

(vi) छोटा नागपुर क्षेत्र में मुंडा व संथाल जनजातियाँ महुआ और कदम्ब के पेड़ों की पूजा करती हैं तथा उनका संरक्षण, भी करती हैं।

(vii) राजस्थान में बिश्नोई गाँवों के लोग अपने आस-पास के क्षेत्रों में निवास करने वाले हिरन, चिंकारा, नीलगाय एवं मोर आदि वन्य पशुओं की सुरक्षा करते हैं।

हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *