Ancient History Notes in Hindi
Ancient History Notes in Hindi
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स्यादवाद या अनेकांतवाद या सप्तभंगी का सिद्धांत
* जैन धर्म में दार्शनिक ज्ञान के अनेक पक्षों को स्वीकार किया गया है.
* उनके अनुसार कोई भी विचार न पूर्णत: सत्य होते हैं न पूर्णत: असत्य अर्थात सभी विचार अंशत: सत्य होते हैं.
* इसी विचार को स्यादवाद या अनेकांतवाद या सप्तभंगी का सिद्धांत कहा जाता है.
* जैन धर्म संसार को सत्य मानता है, संसार नित्य है.
* संसार के प्रत्येक वस्तु में आत्मा का वास है.
* जैन धर्म के अनुसार संसार का निर्माण छह द्रव्यों से हुआ है-
* पहला जीव
* दूसरा पुद्गल
* तीसरा भौतिक तत्व
* चौथा धर्म
* पांचवा धर्म
* छठवां आकाश (सातवां काल).
* जैन धर्म में 18 प्रकार के पाप बताए गए हैं.
* जैन धर्म में कठोर तपस्या द्वारा शरीर त्याग को उत्तम कार्य माना गया है, इस विधि को जैन धर्म में संलेखन कहा गया है.
जैन ग्रंथ-
* महावीर स्वामी ने अपना धर्म प्रचार प्राकृत भाषा में किया है.
* जैन धर्म का मुख्य ग्रंथ प्राकृत भाषा में है.
* जैन धर्म का प्राचीनतम ग्रंथ 14 पूर्व है.
* इनके अलावा जैन धर्म ग्रंथों को 6 श्रेणियों में बांटा गया है-
* पहला 12 अंग
* दूसरा 12 उपांग
* तीसरा 10 प्राकृण
* चौथा मूलसूत्र
* पांचवा छेदसूत्र
* छठा विविध धार्मिक ग्रंथ
* संस्कृत भाषा में लिखा गया जैन ग्रंथ कल्पसूत्र है, इसके रचनाकार भद्रबाहु है.
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