Ancient History Notes in Hindi
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बौद्ध धर्म के अष्टांगिक मार्ग-
* भगवान बुद्ध ने दुखों से मुक्ति के लिए आशा धनिया उपाय बताया है इन आठ साधनों को ही अष्टांगिक मार्ग कहा जाता है.
1. सम्यक दृष्टि- वस्तु के वास्तविक स्वरूप का ध्यान करना सम्यक दृष्टि कहलाता है.
2. सम्यक संकल्प- बुध के अनुसार आ सकती द्वेष और हिंसा से मुक्त होकर संकल्प लेना ही सम्यक संकल्प है.
3. सम्यक वाक्- अप्रिय वाणी का परित्याग सम्यक वाक् है.
4. सम्यक क्रमांक- बुध के अनुसार व्यक्ति को दया, दान, सत्य, अहिंसा आदित्य कर्म करना चाहिए यही समय क्रमांक है.
5. सम्यक अजीव्- सदाचार के नियमों के अनुकूल आजीविका का अनुसरण करना सम्यक अजीब है.
6. सम्यक व्यायाम- नैतिक मानसिक एवं आध्यात्मिक उन्नति के लिए सम्यक व्यायाम आवश्यक है.
7. सम्यक् स्मृति- अपने विषय में गलत धारणाओं का क्या करना चाहिए, सच्ची धरना ही सम्यक् स्मृति है.
8. सम्यक समाधि (ध्यान देना)- मनिया चित्त की एकाग्रता क्यों सम्यक समाधि कहते हैं.
* बुध के अनुसार इन अष्टांगिक मार्ग ओके पालन करने से मनुष्य की सांसारिक कृष्णा इच्छा नष्ट हो जाती है. इस स्थिति को बौद्ध धर्म में निर्वाण प्राप्ति मोक्ष प्राप्ति कहा गया है.
* निर्गुण या मोक्ष बौद्ध धर्म का परम लक्ष्य है.
* निर्वाण का अर्थ है जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो जाना.
* बुद्ध का मानना है कि निर्माण इसी जीवन में संभव है.
* बुद्ध के अनुसार निर्माण के बाद महापरिनिर्वाण की प्राप्ति होती है अर्थात महापरिनिर्वाण मृत्यु के बाद संभव है.
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