लड़कियों की शिक्षा के प्रति परिवार और समाज में जागरूकता आए-इसके लिए आप क्या-क्या करेंगे?

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अपनी दादी, नानी और माँ से बातचीत कीजिए और (स्त्री-शिक्षा संबंधी) उस समय की स्थितियों का पता लगाइए और अपनी स्थितियों से तुलना करते हुए निबंध लिखिए। चाहें तो उसके साथ तसर्वरं भी चिपकाइए।

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निम्नलिखित अनेकार्थी शब्दों को ऐसे वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए जिनमें उनके एकाधिक अर्थ स्पष्ट हों – चाल, दल, पत्र, हरा, पर, फल, कुल

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द्विवेदी जी की भाषा-शैली पर एक अनुच्छेद लिखिए।

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महावीरप्रसाद द्विवेदी का निबंध उनकी दूरगामी और खुली सोच का परिचायक है, कैसे ?

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तब की शिक्षा-प्रणाली और अब की शिक्षा-प्रणाली में क्या अंतर है? स्पष्ट करें।

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परंपरा के उन्हीं पक्षों को स्वीकार किया जाना चाहिए जो स्त्री-पुरुष समानता को बढ़ाते हों-तर्क सहित उत्तर दीजिए।

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पुराने समय में स्त्रियों द्वारा प्राकृत भाषा में बोलना क्या उनके अनपढ़ होने का सबूत है-पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

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दविवेदी जी ने स्त्री-शिक्षा विरोधी कुतर्कों का खंडन करने के लिए व्यंग्य का सहारा लिया है-जैसे ‘यह सब पापी पढ़ने का अपराध है। न वे पढ़तीं, न वे पूजनीय पुरुषों का मुकाबला करतीं।’ आप ऐसे अन्य अंशों को निबंध में से छाँटकर समझिए और लिखिए।

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स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं’-कुतर्कवादियों की इस दलील का खंडन द्विवेदी जी ने कैसे किया है? अपने शब्दों में लिखिए।

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