Medieval History Notes in Hindi
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शाहजहां की वास्तुकला
* शाहजहां द्वारा आगरे के किले में दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, मोती मस्जिद, शीशमहल, खासमहल, नगीना मस्जिद एवं मुस्मातबुर्ज का निर्माण कराया गया.
* इन सभी इमारतों में सबसे सुंदर इमारत मोती मस्जिद है.
* शाहजहां द्वारा दिल्ली का लाल किला बनवाया गया था.
* तथा इसके साथ ही शाहजहां ने 1637 ई. में आगरे के जगह दिल्ली को राजधानी बनाया.
* तथा इस किले के अंदर में दीवान-ए-खास, दीवान-ए-आम तथा रंग महल आदि कई इमारतों का निर्माण भी कराया.
* इसी दीवान-ए-आम में विश्व प्रसिद्ध तख्तेताऊस या मयूर सिंहासन रखा जाता था, जिसे शाहजहां ने ही बनवाया था.
* दीवान-ए-खास की सुंदरता उसके अंदर लिखी हुई इस उक्ति या कथन से स्वयं सिद्ध हो जाती है-” यदि दुनिया में कहीं स्वर्ग है, तो वह यही है, यही है, यही है (यह उक्ति अमीर खुसरो की मानी जाती है)
* इसके अलावा दिल्ली के जामा मस्जिद का निर्माण भी शाहजहां के द्वारा करवाया गया था.
* शाहजहां के समय में सफेद संगमरमर का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया गया.
* शाहजहां के समय में आगरे के किले में बनी दीवान-ए-आम पुर्णतः सफेद संगमरमर की बनी पहली इमारत मानी जाती है.
* इसके पश्चात क्रमश: दीवान-ए-खास और मोती मस्जिद का निर्माण हुआ, जो पूर्णत: सफेद संगमरमर की बनी थी. * इस समय में जो संगमरमर का प्रयोग हुआ, वह राजस्थान से मंगवाया गया था.
* ताजमहल के मकबरे का वास्तुकार इशा खां को माना जाता है.
* तथा इसका मुख्य कलाकार अब्दुल हमीद लाहौरी था.
* एक दूसरे मत के अनुसार- ताजमहल का वास्तुकला बेनिस के चाँदी और आभूषणों के शिल्पकार गेरोनिमो बैरोनियों को माना जाता है, जो उस समय में मुगल सम्राट की सेवा में था.
* संभवत: ताजमहल की आकृति दिल्ली स्थित हुमायूं के मकबरे और अब्दुर्रहीम खानखाना के मकबरे से प्रेरित मानी जाती है.
* ताजमहल की पूर्वगामी आकृति या इमारत एत्मातुदौला के मकबरे को माना जाता है.
* इसके अलावे शाहजहां ने कश्मीर के निशात बाग तथा लाहौर के शालीमार बाग का निर्माण कराया था.
* शाहजहां के दरबार में फ्रांसीसी यात्री टेवर्नियर आया, जो पेशे से जौहरी था.
* तथा फ्रांसीसी यात्री टेवर्नियर ने कुल 6 वार भारत की यात्रा की.
* फ्रांसीसी यात्री टेवर्नियर ने गोलकुंडा के हीरे को भी देखा था.
* शाहजहां के समय दूसरा प्रमुख फ्रेंच यात्री फ्रांसिस बर्नियर ने 1658 ई. में भारत यात्रा की थी.
* उस समय शाहजहां के पुत्रों में उत्तराधिकार का युद्ध चल रहा था.
* फ्रांसिस बर्नियर का यात्रा वृतांत ट्रेवल्स-इन-द-मुग़ल एम्पायर के समय 1670 ई. में हुआ था.
* शाहजहां के शासनकाल को मुगल काल का स्वर्ण काल भी कहा जाता है.
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