Medieval History Notes in Hindi
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मुगलों की अर्थव्यवस्था
* मुगल प्रशासन में आय का प्रमुख साधन भू-राजस्व के रूप में लिया जाता था,जिसे खराज कहा जाता था.
* जो भूमि से प्राप्त उपज पर लगाया हुआ कर होता था, जो मुगल समय में उपज का1/3 भाग था.
* भूमि कर बटवारे के आधार पर पूरे साम्राज्य की भूमि को दो मुख्य रूप से बांटा गया था.
1. खालसा भूमि-
* इस भूमि से प्राप्त आमदनी सीधे साही कोषागार में जाती थी.
* इससे राजा के व्यक्तिगत खर्च, सैन्य एवं युद्ध का खर्चा निकाला जाता था.
2. जागीर भूमि-
* ऐसी भूमि से राज्य के प्रमुख सेवकों को उनकी वेतन के बदले जो भूमि दी जाती थी, उसे जागीर भूमि कहते थे
* जागीरे देना पूरी तरह से बादशाह के हाथ में था तथा वह किसी भी समय उनको बदल सकता था.
* जब कोई जागीर किसी जागीरदार से लेकर किसी अन्य जागीरदार को न देकर केंद्र सरकार के पास रहती थी, तो ऐसे जागीर को पाईबाकी कहते थे.
* भूमि की उपर्युक्त दो विभाग के अतिरिक्त कुछ ऐसी भी भूमि थी, जो की मदद-ए-मास एवं मिल्क अथवा शयुरगुल आदि अनुदानो के रूप में दिए जाते थे.
मुगल काल में दो तरह के किसान होते थे-
1. खुदकाश्त- ऐसे काश्तकार जो अपनी जमीन पर स्वयं खेती करते थे तथा उसी गांव में रहते थे, तो ऐसे किसान को खुदकाश्त किसान कहते थे.
2. पाही काश्त- वैसे कृषक जो खेती करने के लिए दूसरे गांव में जाते थे तथा भूमि भी उनकी स्वयं की नहीं होती थी, पाहीकाश्त किसान कहलाते थे.
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