Medieval History Notes in Hindi

Medieval History Notes in Hindi

                   Medieval History Notes in Hindi

                बालाजी बाजीराव 1740 ई. से 1761 ई. तक 

* जब 1740 ई. में बाजीराव प्रथम की मृत्यु हुई तो साहू ने उनके पुत्र बालाजी बाजीराव को पेशवा नियुक्त किया.

* इनकी नियुक्ति के पूर्व ही वास्तविक शक्ति छत्रपति के हाथ में केंद्रित न रहकर बाजीराव प्रथम के हाथों में आ गई.

* 1750 ई. में संगोला की संधि रामराजा एवं बालाजी बाजीराव के अनुसार संवैधानिक प्रक्रिया द्वारा औपचारिकता पूरी हो गई.

* इसके पश्चात मराठा छत्रपति केवल नाम मात्र के राजा रहे और महलों के महापौर बन गए.

* जबकि मराठा संगठन का वास्तविक नेता बन गए.

* बालाजी बाजीराव ने अपने पिता के अपूर्ण कार्य को पूरा किया तथा उन्होंने मराठा शक्ति का उत्तर और दक्षिण दोनों भागों में प्रसार किया.

* तथा इस तरह कटक से अटक तक मराठा दुंदुभी बजने लगी. 

* बालाजी बाजीराव के समय में ही 14 जनवरी 1761 ई. को पानीपत का तृतीय युद्ध अहमद शाह अब्दाली( अफगानी) और मराठों के बीच हुआ.

* इस युद्ध में मराठा सेना का नेतृत्व (सेनापति) सदाशिव राव भाऊ ने किया था.

* जबकि संवैधानिक सेनापति के रूप में बालाजी बाजीराव के पुत्र विश्वासराव को नियुक्त किया गया था.

* परंतु अल्प वयस्क होने के कारण सदाशिव राव भाऊ को सेनापति का वास्तविक दायित्व सौंपा गया था.

* इस युद्ध में मराठा सेना की बुरी तरह हार हुई तथा मराठों के लगभग सभी बड़े सेनापति मारे गए.

* तथा इस युद्ध में हार का संदेश सुनते ही बालाजी बाजीराव काफी देहावसान हो गया.

* पानीपत के तृतीय युद्ध का आंखों देखा हाल का वर्णन काशीराज पंडित ने किया है.

* बालाजी बाजीराव को इतिहास में नाना साहब के नाम से भी जाना जाता है.

* इब्राहिम खां गर्दी का भारी तोपखाना भी इस युद्ध में उपयोगी सिद्ध नहीं हुआ, जो मराठों की हार का एक प्रमुख कारण था.

* इस युद्ध में मराठों के हार का अन्य कारण थे- गुरिल्ला युद्ध पद्धति को छोड़ना, युद्ध में स्त्री एवं बच्चों को ले जाना, तथा सूरजमल जाट का सहयोग न प्राप्त करना.

हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..

  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *