Medieval History Notes in Hindi
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जाट विद्रोह
* मथुरा का स्थानीय मुगल अधिकारी अब्दुल नवी हिंदू मंदिरों को तोड़ रहा था.
* और हिंदू स्त्रियों को अपमानित कर रहा था.
* उसके अत्याचारों से दुखी होकर 1669 ई. में स्थानीय जाटों ने गोकुल के नेतृत्व में विद्रोह कर दिया.
* अंत में तिलपत के युद्ध में जाट परास्त हुए, गोकुल पकड़ा गया तथा उसे मार दिया गया.
* 1686 ई. में जाटों ने राजाराम के नेतृत्व में विद्रोह किया.
* कहा जाता है कि उसने बादशाह अकबर के सिकंदरा के मकबरे को हानि पहुंचाई.
* तथा अकबर के कब्र को खोदकर उसकी हड्डियों को जला दिया.
* परंतु 1688 ई. में राजाराम मुगलों के विरुद्ध युद्ध करता हुआ मारा गया.
* उसके पश्चात राजाराम के भतीजे चुरामन जाट ने विद्रोह को जारी रखा.
* 1721 ई. में मुगल सेना द्वारा पराजित होने के दौरान उसने अपनी आत्महत्या कर लिया.
* इसके पश्चात् चुरामन के भतीजे बदन सिंह ने अपनी सेना को शक्तिशाली बनाया.
* तथा दिग, कुंबेर वेद एवं भरतपुर में 4 दुर्गों (किला) का निर्माण कराया.
* नादिरशाह के आक्रमण के पश्चात हुई अव्यवस्था से लाभ उठाकर उसने आगरा एवं मथुरा पर अधिकार कर लिया.
* तथा भरतपुर के स्वतंत्र जाट राज्य की स्थापना की.
* अहमद शाह अब्दाली ने इस परिस्थिति को स्वीकार कर लिया तथा बदन सिंह को राजा तथा महेंद्र की उपाधि प्रदान की.
* 1756 ई. में सूरजमल जाट राज्य का उत्तराधिकारी बना.
* लोग सूरजमल को जाटों का अफलातून के नाम से जाना था.
* 1763 ई. में इसकी मृत्यु हो गई तथा जाट राज्य का पतन हो गया.
* सूरजमल ने भरतपुर की राजधानी दिग में आगरे के समान एक सुनियोजित नगर बनवाने का प्रयत्न किया.
* यह कार्य 1725 ई. में प्रारंभ हुआ, परंतु पूर्ण नहीं हो सका.
* क्रमबद्ध- गोकुल- राजाराम- चुरामन- बदन सिंह- सूरजमल.
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