Q & A आशय स्पष्ट कीजिए-“बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी : सब कुछ होम देने वालों पर हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।” July 23, 2023 bk959529 153 Views 0 Comments उपरोक्त वाक्य से लेखक का आशय है कि उस देश के लोगों का क्या होगा, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम देने Read More