Upsc gk notes in hindi-75

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                             Upsc gk notes in hindi-75

                                       परिच्छेद-17

नैसर्गिक राज्य में ऐसा कुछ भी विद्यमान नहीं हो सकता, जिसे सामान्य रहमति से अच्छा या बुरा कहा जा
सके, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति जो नैसर्गिक राज्य में रहता है, वह केवल अपने ही लाभ का ध्यान रखता है
और अपनी पसंद के अनुसार तथा जहाँ तक कि उसके अपने लाभ का सम्बन्ध है, अच्छे या बुरे या निर्णय
करता है और स्वयं को किसी भी विधि (लॉ) के अन्तर्गत अपने सिवा अन्य किसी के प्रति उत्तरदायी की
कल्पना नहीं की जा सकती, केवल सिविल राज्य में ही ऐसा सम्भव है, जहाँ सामान्य सहमति से अच्छे या
बुरे का निर्णय किया जाता है और प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को राज्य के प्रति उत्तरदायी मानता है.

* निम्नलिखित में से कौनसा कथन उपर्युक्त परिच्छेद के मूल विचार को सर्वोत्तम रूप से दर्शाता है ?   

(A) क्या सही या गलत है- ये अवधारणाएं राज्य के निर्माण के कारण अस्तित्व में हैं
(B) क्या सही या गलत है-इस बारे में जब तक कोई शासक प्राधिकारी निर्णय नहीं नैतिक
      रूप से लेता कोई भी व्यक्ति सही नहीं हो संकता
(C) जैसर्गिक राज्य में व्यक्ति स्वाभाविक रूप से अनैतिक और स्वार्थी होता है
(D) क्या सही या गलत है-यह विचार. मानव जाति की उत्तरजीविता के लिए आवश्यक है

                                      परिच्छेद-18

हम कई नई आसन्त्र भविष्य में प्रौद्योगिकियाँ – कृत्रिम बुद्धि (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) एवं रोबोट
विज्ञान (रोबोटिक्स), 3D विनिर्माण ग्राहकों की माँग के अनुसार निर्मित जैविक एवं औषधीय उत्पादों,
घातक स्वचालित शस्त्रों एवं चालकरहित कारों का बढ़ता पणयकरण (कमोडिफिकेशन) देखेंगे. इससे
विकट समस्याएँ उत्पन्न होंगी इस नैतिक प्रश्न पर प्राय: विचार किया गया है कि चालक रहित कार नियम
न मानने वाले पदातिक (जेवॉकर) को टक्कर मारने एवं अचानक एक ओर मुड़कर कार को क्षतिग्रस्त
करने के बीच में निर्णय कैसे लेगी इसका उत्तर दोनों है सरल-मानव जीवन को बचाना और जटिल भी
कितने कोण पर कार को मुड़ना चाहिए क्या केवल उस , नियम को न मानने वाले पदातिक को बचाने
भर या उससे अधिक ? यदि चालकरहित कार डबलिन में होगी तो निर्णय कौन करेगा? उसका निर्णय
आइरिश सरकार करेगी, या कैलिफोर्निया में मौजूद कार का मूल कूटलेखक करेगा या फिर हैदराबाद
में मौजूद वह सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर करेगा, जिसे कार का अनुरक्षण कार्य सौंपा गया है? यदि भिन्न-भिन्न
राष्ट्रीय क्षेत्राधिकारों में मानव जीवन को प्राथमिकता देने के बारे में भिन्नभिन्न सूक्ष्म नियम ( फाइन प्रिंट)
होंगे, तो यह पाराष्ट्रीय (ट्रांसनेशनल) निर्णयों सहित बीमा एवं निवेश सम्बन्धी निर्णयों को किस तरह
प्रभावित करेगा ?

* उपर्युक्त परिच्छेद के आधार पर निम्नलिखित में से कौनसे कथन विवेकपूर्ण युक्तियुक्त एवं व्यावहारिक निहितार्थों को बेहतर दर्शाते हैं ?

1. अत्यधिक वैश्वीकरण किसी भी देश के सर्वोत्तम हित में नहीं है.
2. आधुनिक प्रौद्योगिकियाँ आर्थिक सीमाओं को तेजी से मिटा रही हैं.
3. नवाचार और पूँजी ने राज्य के अधिकार क्षेत्र पर अतिक्रमण कर लिया है.
4. प्रत्येक देश की सार्वजनिक नीति अपनी निजी (सप्लाई चेन) केन्द्रित होनी चाहिए. आपूर्ति श्रृंखलाओं के विकास पर
5. भू-राजनीति को कई अस्पष्टताओं और अनिश्चितताओं का निराकरण करना होगा.
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग का सही उत्तर चुनिए-
(A) केवल 1, 4 और 5
(B) केवल 1, 2, 3 और 4
(C) केवल 2, 3 और 5
(D) 1, 2, 3, 4 और 5

                                     परिच्छेद-19

दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (कोड) के अनुसार भारतीय बैंकों के दिवालिया मामलों का
समाधान किया जाए, तो वह अनर्जक परिसम्पत्ति (एन.पी.ए.) स्थिति को कुछ सीमा तक नियंत्रित
करने में सहायक हो सकता है. राष्ट्रीय कम्पनी विधि अधिकरण द्वारा किए जाने वाले समाधानों की
गति धीमी होने के बावजूद, यह संहिता भावी ऋण-चक्रों में बैंक बहियों को शोधित (क्लीन अप)
करने में सहायक हो सकती है सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पुनः पूँजीकरण भी बैंकों के गुंजाइश
पूँजी (कैपिटल कुशन) को बढ़ाने और उन्हें अधिक ऋण देने और आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा
देने के लिए प्रेरित करने में सहायक हो सकता है किन्तु अशोध्य कर्ज का समाधान और पुन:
पूँजीकरण इस समाधान का एक अंगमात्र ही है, क्योंकि वे उस अनियंत्रित ऋण को रोकने में
बहुत कम ही सहायक हो सकते हैं, जिसने भारतीय बैंकिंग प्रणाली को उसकी वर्तमान दयनीय
अवस्था में ला खड़ा किया है जब तक अधारणीय ऋण की समस्या के समाधान के लिए प्रणालीगत
सुधार नहीं कि जाते हैं, तक भावी ऋण-चक्र बैंकिंग प्रणाली पेर दबाव डालते रहेंगे.

* उपर्युक्त परिच्छेद के अनुसार निम्नलिखित कथनों में से कौनसा सर्वाधिक तर्कसंगत, विवेकपूर्ण और व्यावहारिक सुझाव को बेहतर दर्शाता है?

(A) बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ऋण का सघन अनुवीक्षण (मॉनीटर) और सघन विनियमन केन्द्र सरकार
      को करना चाहिए.
(B) ब्याज की दरें निम्न रखी जानी चाहिए, जिससे कि अधिक ऋण देने, ऋण वृद्धि को प्रोत्साहित करने
     और इसके जरिए आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए बैंकों को प्रेरित किया जा सके.
(C) कई बैंकों का कुछ बड़े बैंकों में विलय करना ही बैंकों को लाभकारी बनाने और उनके खराब
     निष्पादन को रोकने का दीर्घकालिक समाधान है.
(D) अशोध्य ऋण की समस्या के दीर्घकालिक समाधान के रूप में, भारतीय बैंकिंग प्रणाली में
     संरचनात्मक सुधार आवश्यक हैं.

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