बेवकूफों और अंधो के लिए शास्त्र और दर्पण क्या कर सकते है? मनुष्य में स्वयं का विवेक, चेतना एवं बोध नहीं है
मूर्ख को उपदेश देने का कोई लाभ नहीं है, इससे उसका क्रोध शांत होने के बजाय और उल्टे बढ़ता ही है। जिस प्रकार सांप को दूध पिलाने से उसका जहर घटता नहीं बल्कि उल्टे बढ़ता ही है।
किसी बात से तुम उत्साहहीन न हो । जब तक ईश्वर की कृपा हमारे ऊपर है कौन इस पृथ्वी पर हमारी उपेक्षा कर सकता है? यदि हम अपनी अंतिम सांस भी ले रहे हो तो भी न डरना। सिंह की शूरता और पुष्प की कोमलता के साथ काम करते रहो।
भाग्य बहादुर और कर्मठ व्यक्ति का ही साथ देता है। पीछे मुड़ कर मत देखो। आगे अपार शक्ति, अपरिमित उत्साह, अमित साहस और धैर्य की आवश्यकता है और तभी महान कार्य निष्पन्न किये जा सकते हैं। हमे पूरे विश्व को उद्दीप्त करना है।
चाहे वे कितने ही प्रतिभाशाली क्यों न हो, स्वयं को प्रेरित करने मेंअसमर्थ लोगों को औसत परिणामों से ही सन्तुष्ट होना पड़ता है।