जो प्रत्यक्ष क्षण है, मौजूदा हालात है, उसको देख - समझ कर उसका महत्व जानकर किया गया पुरुषार्थ व पराक्रम लक्ष्य की प्राप्ति कराता है
जो लोग उपलब्ध वातावरण को छोड़कर अनुपलब्ध की कामना मे. कल्पना में खोए है, अप्राप्त सामग्रियों से लक्ष्य संधान की आकांक्षा कर रहे हैं, वे सदा लक्ष्यच्युत रहते हैं.
जीवन सदा प्रत्यक्ष' है. वर्तमान में है उसमे जो कुछ मिला है, उसी को साधो , उसका ही उपयोग करो, उसी से आराधना करो, जिसे आपने लक्ष्य समझा है वह ही आपका 'इस्ट' है
आप जो कुछ चाहते हैं, वह आपको मिल जाएगा, यदि आप यह विचार त्यागने के लिए तैयार है कि आप उसे प्राप्त नहीं कर सकते.
पहले लक्ष्य की पहचान करो, फिर योग्य साधनों का सम्मान, तत्पश्चात अपने कदमो की गतिमान करो ताकि हो जाओ तुम सब महान् ॥
अगर आपको धर्म को भी स्वीकारना है तो अपनी आत्मा से परीक्षित धर्म को स्वीकारो आत्मतुला पर रखकर हर तत्व का ज्ञान प्राप्त करो. सबसे पहले खुद को जानो और फिर खुद से इस लोक को जानो