वह सच्चा शिक्षक आपका, मार्गदर्शक आपका ---- आपकी अपनी आत्मा है, आपका आत्मविश्वास है, आपका बोध-ज्ञान है, आपका विवेक है. आपकी प्रज्ञा का जागरण है
जिस आदत सेवन से हमारे वातावरण में दुष्प्रभाव, शोरगुल व समस्याएँ पनपती है वह वर्जनिये है, चाहे वह तेज आवाज में संगीत चलाकर नाचना ही क्यों न हो.
जिस आदत की गुलामी से मन व आत्मा की शक्तियों का ह्रास व पतन होता हो, वह पाप ही है चाहे उसे कोई भी क्यों न करें?
'लक्ष्य को ही अपना जीवन कार्य समझो हर समय उसका चिंतन करो, उसी का स्वप्न देखो और उसी के सहारे जीवित रहो"
"अपने मिशन में कामयाब होने ही लिए, आपको अपने लक्ष्य के प्रति पूर्णत: निष्ठावान होना पड़ेगा.
तेज, क्षमा, धैर्य, बाहर की शुद्धि एवं किसी में भी शत्रुभाव का न होना और अपने में पूज्यता के अभिमान का अभाव ये सब तो देवी सम्पदा को लेकर पुरुष के लक्षण है