यदि आप प्रसन्न रहना चाहते हैं, तो विगत के बारे में न सोचें, भविष्य के बारे में चिंतित न हो, पूरी तरह से वर्तमान में जीने पर केन्द्रित हो."
भाग्य कर्म से ही बनता और बिगड़ता है। स्वयं कीजिए अपने भाग्य का नियन्त्रण अन्यथा करेगा कोई अन्य आपको यन्त्रण.
आपका भाग्य आपके ही संकल्पों से व कर्म से बनता है, और बिगड़ता है. आप अपने संकल्पों को सुधार कर सँवारकर अपने भाग्य को सही प्रारूप दे सकते हैं।.
" भारत अनेक सम्प्रदायों का देश है, इसलिए जब तक हम एक-दूसरे के विचार और रहन-सहन का आदर नहीं करेंगे. हम एक विशाल और अखण्ड राष्ट्र, समाज एवं परिवार का निर्माण नहीं कर सकेंगे."
भारतीय राष्ट्र राज्य में अनेक राष्ट्रीयताओं वाली विविधताओं के बावजूद इसका एक हिन्दुस्तान के रूप में अखण्ड बने रहना आश्चर्यजनक है और विदेशी विद्वानों के लिए एक पहेली भी.
व्यवहार कुशल बनाना है तो महान और सफल लोगों के व्यवहार का अनुकरण करना चाहिए"। टुकड़ा-दुकड़ा सोच हमारा, बिखरा बिखरा ज्ञान रे सत्गुरूवर की किरपा उतरे, तो होवे निज भान रे "