मनुष्य की चार अवस्था 1. बाल्यावस्था 2. युवावस्था 3. अधेड़ावस्था 4. वृद्धावस्था प्रत्येक मनुष्य को सुबह तीन बजे ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। मनुष्य तीन गुणो से बना है- 1. सत्व, 2. राजस एवं 3. तमस
हमें आत्मविश्वास, जिज्ञासा, सहनशक्ति, त्याग भावना, कर्तव्यपरायणता, विनम्रता को अपने भीतर आत्मसात करना होगा.
हमें मधुर वाणी बोलना, सबका सम्मान करना, अध्यवसायी बने लीक से हटकर चलना, अपने उद्देश्य को अच्छी तरह जानना, देखना, परखना नियमित कार्यक्रम बनाकर वर्तमान में जीना है
हमे धनवान आदमी, कुता, संड और शराबी से सावधान रहना चाहिए। हमे बिना देखे खाना, बिना पढे कभी कहीं हस्ताक्षर नही करना चाहिए.