हमें श्रधा रखना चाहिए किसी भी मनुष्य पर ताकि मुझे मेरा जीवन सफल हो और धन प्राप्त का सुख प्राप्त हो, हमे कोई भी काम श्रधा से ही करना चाहिए तब ही हमे सफलता मिलेगी.
पृथ्वी सभी मनुष्यों की जरूरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है लेकिन लालच पूरी करने के लिए नहीं.
आदमी की खुशी तो संतोष में है। जो असंतुष्ट है, उसके पास कितना भी कुछ हो, वह अपनी इच्छाओं का दास बना रहेगा।
अपनी गलती को स्वीकारना झाडू लगाने के समान है, जो मन को साफ तथा चमकदार बना देता है।