पाँच वर्ष तक पुत्र के साथ प्यार-दुलार का व्यवहार, दस वर्ष तक पुत्र के साथ दंड देकर अच्छे मार्ग पर चलने का व्यवहार तथा सोलह वर्ष के बाद पुत्र के साथ मित्र जैसा व्यवहार करना चाहिए
हमे विद्वान् आदमी की तरह व्यवहार करना चाहिए। विद्वान कभी भी अपशब्द का प्रयोग नहीं करता है।
हमे विवेकशिल बन कर रहना चाहिए ताकि हमे दुर्गति न हो, हमे संसार मे रहना है, परंतु संसार को अपने अंदर नही आने देना है।
हमे अपने आप पर विश्वास रखना चाहिए, हमे प्रेम सबसे करना है, विश्वास कुछ पर रखना है और किसी का बुरा नही करना है। हमे तृष्णा नहीं करना चाहिए.
हमे श्रधा रखना चाहिए किसी भी मनुष्य पर ताकि मुझे मेरो जीवन सफल हो और धन प्राप्त का सुख प्राप्त हो.