जिस प्रकार बिना जल के धान नहीं उगता उसी प्रकार बिना विनय के प्राप्त की गयी विद्या फलदायी नहीं होती.
किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असल रूप को न पहचानना है और यह केवल आत्म ज्ञान प्राप्त कर के ठीक की जा सकती है।
जो थोड़ा इधर, थोड़ा उधर हाथ मारते हैं, वे कोई लक्ष्य पूर्ण नहीं कर पाते। वे कुछ क्षणों के लिए बड़ा जोश दिखाते है, किंतु वह शीघ्र ठंडा हो जाता है।
अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करें, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, यह सिर्फ बुराई का एक ढेर है और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है।