इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।

इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न. इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- तुलसीदास हिंदी के श्रेष्ठतम भक्त कवियों में से एक हैं, जिन्होंने गंभीरतम दार्शनिक काव्य लिखने के साथ-साथ व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य प्रस्तुत किया है। इस प्रसंग में उन्होंने लक्ष्मण के माध्यम से मुनि परशुराम की करनी और कथनी पर कटाक्ष करते हुए व्यंग्य को सहज सुंदर अभिव्यक्ति की है। लक्ष्मण ने शिवजी के धनुष को धनुही कहकर परशुराम के अहं को चुनौती दी थी। उन्होंने व्यंग्य भरी वाणी में कहा –

(i) बिहसि लखनु बोले मदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूंकि पहारू॥

(ii) इहाँ कुम्हड़बतिआ कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं॥

लक्ष्मण ने व्यंग्य करते हुए परशुराम से कहा कि वे जो चाहते हैं, वह कह देना चाहिए। उन्हें क्रोध रोककर असह्य दुख नहीं सहना : चाहिए। परशुराम तो मानो काल को हाँक लगाकर बार-बार बुलाते थे। भला इस संसार में ऐसा कौन था, जो उनके शील को नहीं जानता था। वे संसार में प्रसिद्ध थे। लक्ष्मण कहते हैं कि वे अपने माता-पिता के ऋण से मुक्त हो चुके थे; अब उन्हें अपने गुरु के ऋण से : भी मुक्त हो जाना चाहिए।

सो जनु हमरेहि माथे काढ़ा। दिन चलि गये व्याज बड़ बाढ़ा।
अब आनिअ व्यवहरिआ बोली। तुरत देऊँ मैं थैली खोली।।

वास्तव में तुलसीदास ने परशुराम के स्वभाव और उनके कश्चन के ढंग पर व्यंग्य कर अनूठे सौंदर्य की प्रस्तुति की है।

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