ऋण के औपचारिक व अनौपचारिक स्रोतों में क्या अन्तर है ?
ऋण के औपचारिक व अनौपचारिक स्रोतों में क्या अन्तर है ?
अथवा
औपचारिक एवं अनौपचारिक क्षेत्रक ऋण में कोई दो अन्तर बताइए।
अथवा
औपचारिक ऋण क्षेत्रक और अनौपचारिक ऋण क्षेत्रक में किन्हीं तीन अन्तरों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: ऋण के औपचारिक व अनौपचारिक स्रोतों में निम्नलिखित अन्तर हैं-
औपचारिक स्रोत | अनौपचारिक स्रोत |
1. इसके अन्तर्गत ऋण के वे स्रोत सम्मिलित होते हैं जो सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं। | 1. इसके अन्तर्गत वे छोटी और छुटपुट इकाइयाँ सम्मिलित होती हैं जो प्रायः सरकार के नियन्त्रण से बाहर होती हैं। |
2. इन्हें सरकारी नियमों व विनियमों का पालन करना पड़ता है। | 2. यद्यपि इनके लिए भी सरकारी नियम और विनियम होते हैं परन्तु उनका पालन नहीं किया जाता। |
3. ऋण के औपचारिक स्रोतों में बैंक व सहकारी समितियाँ हैं। | 3. ॠण के अनौपचारिक स्रोतों में साहूकार, व्यापारी, नियोक्ता, भूस्वामी, रिश्तेदार एवं मित्र आदि होते हैं। |
4. भारतीय रिजर्व बैंक ऋण के औपचारिक स्रोतों के कामकाज पर नजर रखता है। | 4. अनौपचारिक स्रोत में ऐसी कोई संस्था नहीं है जो ऋणदाताओं की ऋण क्रियाओं का निरीक्षण करती है। |
5. ऋण के औपचारिक स्रोतों का उद्देश्य लाभ कमाने के साथ-साथ सामाजिक लाभ भी होता है। | 5. ऋण के अनौपचारिक स्रोतों का उद्देश्य लाभ कमाना होता है । |
6. इन स्रोतों से ऋण कम ब्याज दर पर उपलब्ध हो जाता है। | 6. इन स्रोतों से ऋण महँगी ब्याज दर पर उपलब्ध होता है। |
7. ऋण के औपचारिक स्रोत ऋण लेने वाले के संमक्ष कोई अनुचित शर्त नहीं लगाते हैं। | 7. ऋण के अनौपचारिक स्रोत ऋण लेने वाले के समक्ष ऊँची ब्याज दरों के अतिरिक्त कई कठोर शर्तें लगाते हैं। |
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