(क) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन से जुड़ी हुई क्यों थी ?
(क) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन से जुड़ी हुई क्यों थी ?
(ख) पहले विश्वयुद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आन्दोलन के विकास में किस तरह योगदान दिया ?
(ग) भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोध में क्यों थे ?
(घ) गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया ?
उत्तर:
(क)
- भारत में वियतनाम एवं अन्य कई देशों की तरह आधुनिक राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया का उपनिवेश विरोधी आन्दोलन से घनिष्ठ रूप से सम्बन्ध रहा है।
- उपनिवेश विरोधी आन्दोलन में सभी जाति, वर्ग एवं सम्प्रदायों के लोगों को विदेशी शासन के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए एकजुट किया गया। इस संगठित संघर्ष ने भी राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा दिया।
- यूरोपीय शक्तियों अपनी संस्कृति को श्रेष्ठ समझती थीं। उन्होंने अपने उपनिवेशों में अपनी संस्कृति को जबरदस्ती लादना प्रारम्भ कर दिया जैसा कि फ्रांस ने वियतनाम में किया था। इससे भी राष्ट्रवाद की भावना को प्रेरणा मिली।
- उपनिवेश विरोधी आन्दोलन ने राष्ट्रवादी एवं उदारवादी विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक मजबूत मंच प्रदान किया।
(ख)
- प्रथम विश्वयुद्ध ने भारत में नई आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति पैदा कर दी।
- प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान भारत में तेजी से कीमतों में वृद्धि हुई जिससे जनता के समक्ष कठिन स्थितियाँ उत्पन्न हो गईं।
- ग्रामीणों को सेना में भर्ती होने के लिए बाध्य किया गया जिससे जनता में व्यापक रोष उत्पन्न हो गया।
- देश के अधिकांश भागों में फसल खराब हो गई, जिसके कारण खाद्यानों की अत्यधिक कमी हो गई।
- सन् 1918 से 1921 ई. के मध्य देश को अकाल, सूखा एवं बाढ़ के कारण भयंकर संकट का सामना करना पड़ रहा था। चारों तरफ महामारी के कारण अनेक लोग मारे गये। ब्रिटिश शासन ने इस संकट की स्थिति में भारतीयों की कोई मदद नहीं की। अत: भारतीयों ने एकजुट होकर राष्ट्रीय आन्दोलन में सहयोग दिया।
(ग)
भारत में क्रान्तिकारी गतिविधियों को रोकने के लिए ब्रिटिश शासन ने 1919 ई. में रॉलेट एक्ट के नाम से कानून बनाया। इस कानून के तहत सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने एवं राजनीतिक कैदियों को दो वर्ष तक बिना मुकदमा चलाये जेलों में बन्द रखने का अधिकार मिल गया था। इसलिए भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोधी थे।
(घ)
गोरखपुर स्थित चौरी-चौरा नामक स्थान पर 5 फरवरी, 1922 की घटना के कारण गाँधीजी को असहयोग आन्दोलन को वापस लेने का फैसला लेना पड़ा। चौरी-चौरा में बाजार से गुजर रहा एक शान्तिपूर्ण जुलूस पुलिस के साथ हिंसक टकराव में बदल गया। जनता ने आवेश में आकर कई पुलिसकर्मियों की हत्या कर थाने को आग लगा दी। इस घटना के बारे में सुनते ही महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन रोकने का आह्वान किया।
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here