द्विवेदी जी ने प्राकृत भाषा की तुलना आज की कौन-सी भाषा से की है और क्यों?
द्विवेदी जी ने प्राकृत भाषा की तुलना आज की कौन-सी भाषा से की है और क्यों?
प्रश्न. द्विवेदी जी ने प्राकृत भाषा की तुलना आज की कौन-सी भाषा से की है और क्यों?
उत्तर : द्विवेदी जी ने प्राकृत भाषा की तुलना आज अत्यधिक बोले जाने वाली भाषा हिंदी से की है। स्त्री-शिक्षा विरोधियों ने प्राचीन समय में बोली जाने वाली प्राकृत भाषा को अनपढ़ों और गँवारों की भाषा बताया है। लेकिन द्विवेदी जी के अनुसार प्राकृत भाषा उस समय की आम बोलचाल की भाषा थी, इसलिए प्राकृत बोलना और पढ़ना-लिखना अनपढ़ता का कारण नहीं है।
उस समय के प्रसिद्ध ग्रंथ प्राकृत भाषा में लिखे गए थे; जैसे-गाथा-सप्तशती, सेतुबंध, महाकाव्य, कुमारपाल चरित आदि। यदि इन ग्रंथों को लिखने वाले अनपढ़ और गँवार हैं, तो आज के समय में हिंदी के प्रसिद्ध से प्रसिद्ध संपादकों को अनपढ़ और गँवार कहा जा सकता है। हिंदी इस समय की आम बोलचाल की भाषा है। जिस तरह हम लोग हिंदी, बाँग्ला आदि भाषाओं को पढ़कर विद्वान बन सकते हैं, उसी तरह प्राचीन समय में शौरसेनी, मागधी, महाराष्ट्री आदि प्राकृत भाषाओं को पढ़-लिखकर कोई भी सभ्य, शिक्षित और पंडित बन सकते थे।
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