भारत में भूमिगत जल: “हाल के प्रमाणों से पता चलता है कि देश के कई भागों में भूमिगत जल का अति-उपयोग होने का गंभीर संकट है।
भारत में भूमिगत जल: “हाल के प्रमाणों से पता चलता है कि देश के कई भागों में भूमिगत जल का अति-उपयोग होने का गंभीर संकट है।
300 जिलों से सूचना मिली है कि वहाँ पिछले 20 सालों में पानी के स्तर में 4 मीटर से अधिक की गिरावट आयी है। देश का लगभग एक-तिहाई भाग, भूमिगत जल भण्डारों का अति-उपयोग कर रहा है। यदि इस साधन के प्रयोग करने का वर्तमान तरीका जारी रहा हो अगले 25 वर्षों में देश का 60 प्रतिशत भाग इस साधन का अति-उपयोग कर रहा होगा। भूमिगत जल का अति-उपयोग विशेष रूप से पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कृषि की दृष्टि से समृद्ध क्षेत्रों, मध्य और दक्षिण भारत के चट्टानी पठारी क्षेत्रों, कुछ तटवर्ती क्षेत्रों और तेजी से विकसित होती शहरी बस्तियों में पाया जाता है।”
1. आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि जल का अति-उपयोग हो रहा है?
उत्तर: हाँ, देश के कई भागों में जल, विशेषकर भूमिगत जल का अति उपयोग हो रहा है। देश का लगभग एक तिहाई भाग भूमिगत जल भण्डारों का अति उपयोग कर रहा है। लोग घरेलू कार्य, सिंचाई, उद्योगों आदि में जल का अति उपयोग कर उसका दुरुपयोग कर रहे हैं। जल के अति उपयोग के कारण ही दिनों-दिन भूमिगत जल स्तर नीचा होता जा रहा है।
2. क्या बिना अति-उपयोग के विकास हो सकता है?
उत्तर: हाँ, जल के अति उपयोग के बिना विकास हो सकता है इसके लिए जरूरी है कि हम जल का विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग करें एवं जल संरक्षण के आवश्यक उपायों को अपनायें।
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