महावीरप्रसाद द्विवेदी का निबंध उनकी दूरगामी और खुली सोच का परिचायक है, कैसे ?
महावीरप्रसाद द्विवेदी का निबंध उनकी दूरगामी और खुली सोच का परिचायक है, कैसे ?
प्रश्न. महावीरप्रसाद द्विवेदी का निबंध उनकी दूरगामी और खुली सोच का परिचायक है, कैसे ?
उत्तर : महावीरप्रसाद दविवेदी का निबंध उनकी दूरगामी और खुली सोच का परिचायक है। दविवेदी जी के अनुसार प्राचीन समय की अपेक्षा आधुनिक समय में स्त्री-शिक्षा का अधिक महत्व है। द्विवेदी जी का समय समाज में नई चेतना जागृत करने का था। उस समय के समाज में स्त्रियों को पढ़ाना अपराध समझा जाता था। पढ़ी-लिखी स्त्रियों को अच्छी दृष्टि से नहीं देखा जाता था। दकियानूसी विचारों वाले लोगों ने स्त्री-शिक्षा के विरोध में व्यर्थ की दलीलें बना रखी थीं।
द्विवेदी जी ने स्त्री-शिक्षा के महत्व को समझा और उसका प्रचार-प्रसार करने के लिए लेखों का सहारा लिया। उनका मानना था कि शिक्षा ही देश का उचित विकास कर सकती है। स्त्रियों के उत्थान से देश का उत्थान निश्चित है। शिक्षित नारी स्वयं का भला तो करती है साथ में अपने परिवार, समाज और देश का भी भला करती है। नारी की क्षमता और प्रतिभा के उचित उपयोग के लिए उसे शिक्षित करना आवश्यक है।
द्विवेदी जी की स्त्री-शिक्षा के प्रति यह सोच आज के समय में वरदान सिद्ध हो रही है। आधुनिक समय में शिक्षा का बहुत महत्व है। इसके बिना मानव-जीवन के अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज के समय में लड़कों और लड़कियों के लिए शिक्षा अनिवार्य है। घर, समाज और देश के विकास के लिए नारी का आत्मनिर्भर होना आवश्यक है। इसलिए आज हर क्षेत्र में लड़कियाँ लड़कों से आगे निकल रही हैं। हर क्षेत्र में लड़कियों की सफलता का श्रेय उन लोगों को है, जिन्होंने स्त्री-शिक्षा के लिए लंबा संघर्ष किया। उन लोगों ने आने वाले समय में स्त्री-शिक्षा के महत्व को समझा तथा स्त्री-शिक्षा विरोधियों की विचारधारा का डटकर मुकाबला किया।
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