रामनरेश त्रिपाठी
रामनरेश त्रिपाठी
रामनरेश त्रिपाठी
श्रीरामनरेश त्रिपाठी का जन्म संवत् 1946 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले
में हुआ था । खड़ी बोली के कवियों में आपका महत्वपूर्ण स्थान था । आप
हिन्दी के बहुत पुराने कवि हैं । आपके काव्य में भाषा का सौन्दर्य और शैली
की सरलता रहती है । आप राष्ट्रीयता और मानवता के पुजारी थे । राष्ट्रीय
आंदोलन में आप जेल जा चुके थे । राष्ट्रपिता गाँधीजी का आप पर अधिक
प्रभाव पड़ा था। अतः आपके खण्डकाव्यों में अहिंसक क्रांति का संदेश सामने
आता है । त्रिपाठीजी ने प्रबन्ध-काव्य और मुक्तक-काव्य दोनों प्रकार के काव्य
सफलतापूर्वक लिखे हैं। इसके अतिरिक्त कविता के विविध प्रकारों के संकलन
आपने कविता-कौमुदी नाम से प्रकाशित किये हैं। गुजरात के राष्ट्रीय कवि श्री
झवेरचंद मेघाणी की भाँति त्रिपाठीजी ने भी उत्तर भारतीय ‘लोक-साहित्य’ का
सर्वप्रथम संकलन एवं संपादन किया और हिन्दी की बड़ी सेवा की । बाल-साहित्य
के आप सिद्धहस्त लेखक थे । इस प्रकार त्रिपाठीजी बहुमुखी प्रतिभा के
साहित्यकार माने जाते थे। अंत तक आप हिन्दी साहित्य की सेवा में लगे रहे।
आपकी प्रमुख रचनाएँ पथिक, मिलन, स्वप्न और कविता-कौमुदी हैं ।
‘पथिक’ खण्ड-काव्य से उद्धृत इस काव्यांश के माध्यम से कवि ने प्रकृति
के विभिन्न रूपों की क्रियाशीलता का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए सतत् कर्मशील
रहने का संदेश दिया है । जिस पृथ्वी और मानव-समाज ने हमें एक सभ्य मनुष्य
बनने में निरन्तर सहयोग किया है, उस देश और समाज के प्रति भी तो हमारा
कुछ कर्तव्य है । यदि उस समाज को संकट में दौड़कर हम अपनी ही दुनिया
में मस्त हैं तो हम निश्चित रूप से कर्तव्य-विमुख और पलायनवादी कहलायेंगे ।
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