लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए।

लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए।

प्रश्न. लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- लेखिका के पिता दोहरे व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। वे आधुनिकता के समर्थक थे। वे औरतों को केवल रसोई तक सीमित नहीं देखना चाहते थे। उनके अनुसार औरतों को अपनी प्रतिभा और क्षमता का उपयोग घर के बाहर देश की स्थिति सुधारने के लिए करना चाहिए। इससे यश, प्रतिष्ठा और सम्मान सबकुछ मिलता है। लेकिन जहाँ वे आधुनिक विचारों के समर्थक थे, वहीं दकियानूसी विचारों के भी थे।

उन्हें अपनी इज्जत प्यारी थी। जहाँ वे औरतों को रसोई से बाहर देखना चाहते थे, वहीं उन्हें यह भी बर्दाश्त नहीं होता था कि वह लड़कों के साथ स्वतंत्रता की लड़ाई में कदम-से-कदम मिलाकर चलें। वे औरतों की स्वतंत्रता को घर की चारदीवारी से दूर नहीं देखना चाहते थे, परंतु लेखिका के लिए पिताजी की दी हुई आज़ादी के दायरे में चलना कठिन था। इसलिए उसकी अपने पिता से वैचारिक टकराहट थी।

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