लेखिका ने बना लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले, किंतु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था। क्या आज भी लडकियों के लिए स्थितियाँ ऐसी ही हैं या बदल गई हैं, अपने परिवेश के आधार पर लिखिए।
लेखिका ने बना लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले, किंतु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था। क्या आज भी लडकियों के लिए स्थितियाँ ऐसी ही हैं या बदल गई हैं, अपने परिवेश के आधार पर लिखिए।
प्रश्न. लेखिका ने बना लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले, किंतु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था। क्या आज भी लडकियों के लिए स्थितियाँ ऐसी ही हैं या बदल गई हैं, अपने परिवेश के आधार पर लिखिए।
उत्तर – लेखिका ने अपने भाइयों के साथ बचपन में लड़कों वाले खेल खेले थे, परंतु लड़की होने के कारण उसका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था। परंतु आज लड़कियों के लिए स्थिति बदल गई है। उन्हें लड़कों के समान अधिकार और आगे बढ़ने के अवसर प्रदान किए जाते हैं। आज उन्हें घर से बाहर अपनी क्षमता दिखाने का पूरा अवसर दिया जाता है। लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाया जाता है।
उन्हें अपनी और दूसरों की रक्षा के उपाय सिखाए जाते हैं। माता-पिता और समाज द्वारा लड़कियों को अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए भरपूर सहयोग दिया जाता है। आधुनिक समय में लड़कियाँ हर क्षेत्र में लड़कों के बराबर हैं। अब आज का समाज भी जागरूक हो गया है। इसलिए अब लड़कियों और लड़कों के क्षेत्र में कोई भी अंतर नहीं किया जाता।
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