उदाहरण: प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कच्चे तेल के लिए निम्न आँकड़ों को देखिए तालिका 1.7 कच्चे तेल के अतिरिक्त भण्डार
उदाहरण: प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कच्चे तेल के लिए निम्न आँकड़ों को देखिए
तालिका 1.7 कच्चे तेल के अतिरिक्त भण्डार
क्षेत्र/देश | भण्डार (हजार मिलियन बैरल) | भण्डारों के चलने की अवधि (वर्षों में) |
मध्य-पूर्व | 807.7 | 70 |
संयुक्त राज्य अमरीका | 50 | 10.5 |
विश्व | 1696.6 | 50.2 |
यह तालिका कच्चे तेल के भण्डारों के अनुमान (कॉलम 1) को दर्शाती है। अधिक महत्त्वपूर्ण यह है कि यह बताती है कि यदि कच्चे तेल का प्रयोग वर्तमान दर पर चालू रहा तो ये भण्डार कितने वर्ष चलेंगे। यह सम्पूर्ण विश्व के लिए है किन्तु अलग-अलग देशों की अलग-अलग स्थितियाँ हैं। यह भण्डार केवल 50 वर्षों में समाप्त हो जाएँगे। भारत जैसे देश इसके आयात पर निर्भर हैं, जिसके पास तेल के पर्याप्त भण्डार नहीं हैं।
तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो प्रत्येक स्तर पर भार पड़ता है। संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे कुछ देश हैं जिनके पास भण्डार तो कम है लेकिन वे इसे सैन्य और आर्थिक शक्ति के द्वारा पाना चाहते हैं। विकास की धारणीयता का प्रश्न, इसकी प्रकृति और प्रक्रिया के बारे में कई अन्य मूल नए विषय खड़े कर देता है।
1. क्या किसी देश की विकास प्रक्रिया के लिए कच्चा तेल अनिवार्य है? चर्चा कीजिए।
2. भारत को कच्चा तेल का आयात करना पड़ता है। उपरोक्त स्थिति को देखते हुए आप भारत के लिए आने वाले समय में किन समस्याओं का पूर्वानुमान करते हैं?
उत्तर:
1. हाँ, किसी देश की विकास प्रक्रिया के लिए कच्चा तेल अनिवार्य है, कच्चा तेल विभिन्न प्रकार की मशीनों, यंत्रों एवं परिवहन आदि के लिए एक संचालक शक्ति का कार्य करता है।
2. भारत को कच्चे तेल का आयात करना पड़ता है। आने वाले समय में भारत को निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है :
1. भारत के आयातों में वृद्धि,
2. प्रतिकूल भुगतान सन्तुलन की स्थिति उत्पन्न होगी,
3. विदेशी विनिमय संकट उत्पन्न होगा।
4. कालाबाजारी बढ़ेगी।
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