कुछ लोग किताबों की सुलभता को लेकर चिन्तित क्यों थे ? यूरोप और भारत से एक-एक उदाहरण लेकर समझाएँ।

कुछ लोग किताबों की सुलभता को लेकर चिन्तित क्यों थे ? यूरोप और भारत से एक-एक उदाहरण लेकर समझाएँ।

उत्तर: कुछ लोग किताबों को लेकर चिन्तित इसलिए थे क्योंकि वे मानते थे, किताबों में लिखा हुआ पढ़ने से लोग बागी हो जायेंगे, सत्ता का विरोध करेंगे, विरोध करने के लिए वे छपाई का दुरुपयोग करेंगे, लोग अधार्मिक प्रवृत्ति के हो जायेंगे, धर्म के प्रति उनका लगाव कम हो जायेगा, वे अनुशासनहीन हो जायेंगे, महिलाएँ अपने स्वाभाविक कार्यों को छोड़कर पढ़ी हुई बातों का अनुसरण करने लगेंगी, जिससे सामाजिक अव्यवस्था फैल जायेगी।

यूरोप का एक उदाहरण-रोमन कैथोलिक चर्च ने धर्म विरोधी विचारों को दबाने के लिए इन्क्वीजीशन शुरू किया तथा प्रकाशकों व पुस्तक विक्रेताओं पर कई प्रकार की पाबन्दियाँ लगाईं और 1558 ई. से प्रतिबन्धित किताबों की सूची रखने लगे।भारत का उदाहरण – 1857 ई. की क्रान्ति से भारत में प्रेस की स्वतन्त्रता के प्रति ब्रिटिश सरकार का रवैया बदल गया।

औपनिवेशिक सरकार ने राष्ट्रवाद के समर्थक भाषायी समाचार पत्रों पर नियन्त्रण स्थापित करने के लिए 1878 ई. में आयरिश प्रेस कानून की तर्ज पर वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट लागू कर दिया। इस एक्ट के माध्यम से ब्रिटिश सरकार ने राष्ट्रवादी गतिविधियों को रोकने के लिए अनेक स्थानीय अखबारों पर प्रतिबन्ध लगा दिया तथा उनसे छपाई की मशीनें छीन ली गयीं।

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