कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) नए आयाम

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) नए आयाम

              कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) नए आयाम

इंटेलिजेंस या बुद्धि मनुष्य का प्रमुख गुण है. मानव सभ्यता ने जो भी उपलब्धियाँ हासिल की हैं, वे मनुष्य की बुद्धि का ही परिणाम हैं. फिर चाहे आग का आविष्कार हो, अनाज उपजाना हो, पहिए का आविष्कार हो या मोटर इंजन का आविष्कार. इन सबके पीछे जिस चीज की भूमिका है, वह है मनुष्य की बुद्धि यही एक गुण है मनुष्य का जो उसे अन्य जीव-जन्तुओं से अलग करता है. इसी आधार पर मनुष्य को विवेकशील प्राणी कहा जाता है, बुद्धि की सहायता से ही मनुष्य विभिन्न मशीनों का अपने हित में इस्तेमाल करता है. अब मनुष्य ने अपनी बुद्धि से मशीनों को आर्टिफिशियल
रूप से इटेलिजेंट या बुद्धिमान बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है. यही कृत्रिम तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता को ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ या ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ कहते हैं. इसे लघु शब्दों में ए.आई.भी कह सकते हैं.
        ‘जॉन मैकार्थी’ आर्टिफिशियल इंटेली-जेंस के संस्थापक थे. उन्होंने अपने साथी मिन्स्की, हर्बर्ट साइमन और एलेन नेवेल के साथ मिलकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता से जुड़े अनुसंधान की शुरूआत सन् 1955 में की. अमरीकी कम्प्यूटर वैज्ञानिक जॉन मैकार्थी ने जब इस पर शोध कार्य शुरू किया था, उस वक्त तकनीकी में इतना विकास नहीं हुआ
था, लेकिन अब एल्गोरिद्म, कम्प्यूटिंग पावन, स्टोरेज में सुधार के कारण कृत्रिम बुद्धिमत्ता को लोकप्रिय और कामयाब बनाया जा सका है.
            आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए कम्प्यूटर सिस्टम या मशीनों को इस तरह से बनाने की कोशिश की जा रही है कि वह इंसानों द्वारा किए जाने वाले कार्य आसानी
से कर सकें. इन मशीनों को इस तरह से बनाया जा रहा है ताकि वह हम लोगों जैसे निर्णय लेने, सही-गलत अन्तर करने, दृश्य धारणा, इंसानों की पहचान करने और अन्य कार्य आसानी से कर सके. अगर सरल भाषा में कहें तो इन मशीनों को इंसानों जैसा दिमाग दिया जा रहा है, ताकि वे इंसानों की तरह निर्णय भी ले सकें. अगर कोई मशीन किसी इंसान को पहचान ले, इंसानों के साथ शतरंज खेले तो उन मशीनों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाली मशीनें कहा जाएगा. वहीं आप लोगों ने मानव रहित गाड़ी या मानव रहित विमान के बारे में सुना ही होगा. इस तकनीक की सहायता से ही आज के जमाने में मानव रहित गाड़ी या विमान चलना मुमकिन हो पाया है आज के दौर में चिकित्सा अनुसंधान, विनिर्माण, बैंकिंग, खेल, स्पेस स्टेशन जैसे क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का काफी प्रयोग किया जा रहा है. कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाली मशीनें बिना थके आसानी से कार्य करती हैं.
 
                    कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोग
 
चिकित्सा अनुसंधान में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से कई सारे कार्य आसानी से किए जा रहे हैं. कृत्रिम बुद्धिमत्ता की सहायता से एक्सरे रीडिंग करना, जटिल से जटिल ऑपरेशन आसानी से करना मरीजों का बेहतर इलाज कम लागत में करना, किस व्यक्ति को कौनसी बीमारी है, उसका पता लगाना आदि आजकल एक सुप्रसिद्ध चिकित्सा तकनीक ‘आई वी एम. वॉटसन’ लोकप्रिय है जिसका उपयोग कई प्रमुख चिकित्सालयों में हो रहा है. इसके साथ-साथ अब आम बीमारियों के लिए ए आई. युक्त ‘हेल्थ असिस्टेन्ट्स’ भी आ चुके हैं, जिसकी मदद से अब आम लोग अपनी बीमारियों की चिकित्सा करवा सकते हैं.
        खेलों में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल किया जाता है. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग खेल खेलने की छवियों को कैप्चर करने, क्षेत्र की स्थिति और रणनीति को अनुकूलित करने में किया जाता है. कृत्रिम बुद्धिमत्ता की मदद से खेल को बेहतर ढंग से खेलने के बारे में रिपोर्टों के साथ-साथ कोच को खेल की रणनीति के बारे में भी सुझाव दिए जाते हैं. यहाँ यह उल्लेखनीय है कि आई बी.एम. कम्पनी के कृत्रिम बुद्धि से लैस ‘डीप ब्ल्यू कम्प्यूटर’, विश्व के सबसे नामी शतरंज खिलाड़ी ‘गैरी कास्परोव’ को हरा चुका है.
          आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग विनिर्माण में भी हो रहा है. इसके जरिए विनिर्माण में सुधार के साथ विनिर्माण की प्रक्रिया में भी सहायता की जाती है. इसके अलावा अन्तरिक्ष से जुड़ी खोजों में भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. कृत्रिम बुद्धिमत्ता की मदद से अब तो ऐसे रोबोट तैयार किए जा रहे हैं, जोकि इंसानों की तरह अपने चेहरे के भाव प्रकट किया करते हैं, वहीं साल 2016 में बनाया गया ‘साफिया’ नामक रोबोट आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का बेहतरीन उदाहरण है. यह रोयोट लोगों से बातचीत करता है और कई सारे इंटरव्यू भी दे चुका है.
      शिक्षा के क्षेत्र में ए आई. की सहायता से अब ‘ओटोमेट ग्रेडिंग’ प्रदान किया जा सकता है, जिससे कि शिक्षाविदों को बच्चों को पढ़ाने में ज्यादा समय मिल सके कृत्रिम बुद्धिमत्ता से किसी भी छात्र को अच्छी तरह से परखा जा सकता है. क्या
उसकी जरूरत है, किन-किन विषयों में वह कमजोर है आदि ताकि उस छात्र की सही तरह से मदद की जा सके. आजकल ए आई. ट्यूटर्स की सहायता से छात्र घर बैठे ही सभी चीजों का हल ढूँढ रहे हैं. इससे उनकी पढ़ने की रुचि भी बढ़ रही है.
             ‘रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन’ की मदद से हाइली रेपोटीटिव टास्क्स को अब मशीनों द्वारा किया जा रहा है. मशीन लर्निंग एल्गोरिद्मस को अब ऐनालिटिक्स तथा सीआरएम प्लेटफार्म के साथ जोड़ा जा रहा है, जिससे कि यह पता चल सके कि कैसे उपभोक्ता को कम्पनियाँ बेहतर मदद कर सकती हैं. चैटबोट्स को वेबसाइट के साथ इनकॉरपोरेट किया जा रहा है ताकि जल्द से जल्द उपभोक्ता को सर्विस दी जा सके इस प्रकार आर्टिफिशियल इंटेलीजेस व्यापार में भी मदद कर रही है
        आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की सहायता से वित्तीय संस्थानों को काफी लाभ मिल रहा है, क्योंकि कम्पनियों को पहले डेटा ऐनालिसिस में बड़ी मात्रा में धन और समय खर्च करना पड़ता था पर अब ऐसा नहीं है अब तो ए आई सब कुछ बहुत ही कम समय में कर देती है
            हम लोग भी रोजाना कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाली तकनीकों का प्रयोग करते हैं। आई ओ.एस., एण्ड्रॉयड, विंडोज मोबाइल आदि इसी तकनीक का उदाहरण हैं. इसी तकनीक की मदद से हम अपनी आवाज के जरिए किसी भी चीज को नेट में बिना टाइप किए सर्च कर सकते हैं. इसके अलावा यू. ट्यूब पर संगीत और मूवी की सिफारिश आना, स्मार्ट होम डिवाइसेज, सुरक्षा निगरानी और स्मार्ट कार इसी तकनीक की देन है, गूगल असिस्टेंट, अमेजन-एलेक्सा, एप्पल-सीटी, माइक्रोसॉफ्ट कॉर्टना आदि कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संचालित होते हैं
        आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर दुनिया भर में अध्ययन तेज हुए है और इसमें भारी निवेश किया जा रहा है स्वचालित कारों का निर्माण हो या आधुनिक कम्प्यूटर के निर्माण के क्षेत्र में कई कम्पनियाँ कार्य कर रही हैं. कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लैस गूगल के अल्फागों ने मानव को एक कम्प्यूटर बोर्ड खेल में हराया था. तो स्पष्ट है कि कृत्रिम बुद्धि में इतनी क्षमता हो सकती है कि वह मनुष्य से भी आगे निकल जाए.
        कृत्रिम बुद्धिमत्ता में यह ताकत भी है इससे हम गरीबी और बीमारी को समाप्त करने का लक्ष्य भी प्राप्त कर सकते हैं. हालांकि सच यह भी है कि अगर हमने इसके जोखिम से बचने का तरीका नहीं ढूँढा, तो सभ्यता खत्म भी हो सकती है.
 
                        कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लाभ
 
कृत्रिम बुद्धिमत्ता या आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के कई लाभ और सकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं. जैसे मशीनों या रोबोट के अन्दर इसानों जैसी कृत्रिम बुद्धिमत्ता तो डाली जा सकती है, लेकिन इन मशीनों के अन्दर भावनाएं डालना अभी असम्भव है। वहीं मशीनों के अन्दर किसी भी तरह की भावना न होने से ये बिना किसी भावना से अपना काम करेंगी और ऐसी स्थिति में उस कार्य में कोई गलती होने की सम्भावनाए न के समान होंगी यह मशीन बिना थके कोई भी कार्य लगातार कर सकती हैं ऐसे में किसी भी कार्य को अतिशीघ किया जा सकता है. इतना ही नहीं हम इसान जहाँ केवल 8 घण्टे तक ही अपना कार्य कर सकते हैं. वहीं ये मशीने दिन से लेकर रात तक बिना रुके कार्य कर सकती है. ऐसे कई सारे कार्य हैं जिनको इसान करना तो चाहता है, लेकिन उन कामों को करने में आने वाले जोखिम के कारण वह उन कार्यों को नहीं कर सकते. वहीं इस तरह की कृत्रिम बुद्धिमत्ता से युक्त मशीनों के आने से ऐसे सभी कार्यों को किया जा सकता है, जोकि हम लोगों के लिए खतरनाक होते हैं. ऐसी कई जगह हो सकती हैं जहाँ पर मानव नहीं जा सकते हैं. लेकिन ये मशीन आसानी से उन जगह पर जा सकती हैं और बताए गए कार्य कर सकती हैं
 
                      कृत्रिम बुद्धिमत्ता के सम्भावित खतरे 
 
जहाँ एक ओर कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लाभ है तो दूसरी ओर कुछ हानिकारक और  नकारात्मक प्रभाव भी है. सर्वप्रथन तो जो सबसे बड़ा नकारात्मक प्रभाव मानव जाति  पर पड़ेगा, वह नौकरियों से जुड़ा हुआ है अगर इस तरह की मशीन बनाई जाती हैं, जोकि मानव की तरह सोचने व कार्य करने की क्षमता रखती हैं, तो व्यक्ति या श्रमिकों के स्थान पर इन मशीनों को कार्य पर रखा जाएगा, अर्थात् नौकरियों में कमी आएगी. बेरोजगारी में वृद्धि हो सकती है.
          इस बात में कोई सन्देह नहीं है कि नई-नई तकनीकों के आने से व्यक्तियों में सृजन शक्ति का ह्रास हो रहा है. मानव मशीनों पर ज्यादा निर्भर रहने लगे हैं. वहीं सोच और समझ रखने वाली मशीनों के आने से लोग अपने विवेक का अधिक उपयोग नहीं करेंगे. काम को आसानी से और जल्दी करने के उद्देश्य से इन मशीनों पर निर्भरता बढ़ेगी. लोगों की सोचने-समझने की क्षमता पर असर पड़ेगा.
        आने वाली नई पीढ़ी पर इस तकनीक का बेहद ही बुरा प्रभाव पड़ेगा. जहाँ विद्यार्थी अपना स्कूल कार्य करने के लिए पुस्तकों का प्रयोग करते थे, वहीं आजकल के छात्र मूलभूत सवालों के लिए भी कम्प्यूटर पर निर्भर रहते हैं. बिना मेहनत किए आसानी से किसी भी चीज का जवाब हासिल कर लेते हैं. ठीक इसी तरह आने वाले समय की पीढ़ी को और नई तकनीकें मिल जाएंगी, जिससे कि वे अपना दिमाग का प्रयोग ही नहीं करेंगे जिससे उनके मानसिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से शक्तिशाली स्वचालित हथियार बन सकते हैं या फिर ऐसे उपकरण जिनके सहारे चन्द लोग एक बड़ी आबादी का शोषण कर सकते हैं. यह अर्थव्यवस्था को भी बड़ी चोट पहुँचा सकती है. इसके अतिरिक्त यह भविष्य में मशीनों को मनुष्य के नियन्त्रण से मुक्त कर सकता है, जिससे मशीनों का
मानव के साथ संघर्ष भी हो सकता है.
              कुल मिलाकर आर्टिफिशियल इंटेली-जेंस हमारे लिए लाभदायक भी है और हानिकारक नुकसानदेह भी अब यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम इसका उपयोग कैसे करते हैं.

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