धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। यह कथन विकास की चर्चा में कैसे प्रासंगिक है? चर्चा कीजिए।

धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। यह कथन विकास की चर्चा में कैसे प्रासंगिक है? चर्चा कीजिए।

उत्तर: उपर्युक्त कथन विकास की चर्चा में बहुत प्रासंगिक है, हमारी धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं। दूसरे शब्दों में, धरती पर मिट्टी, वायु, जल, वन, वन्य प्राणी, खनिज संसाधन आदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। परन्तु इन संसाधनों का विवेकपूर्ण एवं सुनियोजित ढंग से विदोहन किया जाये। हम इनका लालची ढंग से अति विदोहन न करें, दुरुपयोग न करें एवं विनाश न करें।

यदि ऐसा होता है तो धरती पर इनका अभाव नहीं होगा। परन्तु मानव बहुत लालची प्राणी है। उसका लालच इन साधनों के लिए उसे अन्धा बना देता है। विभिन्न देशों की साम्राज्यवादी प्रवृत्ति के कारण उनके द्वारा अन्य देशों पर आक्रमण करने की लालसा, उसके संसाधनों को लूटकर ले जाने की इच्छा, स्वयं को विश्व का सर्वेसर्वा बनाने की इच्छा और इन सबके लिए विनाशकारी परमाणु हथियारों का प्रयोग इन संसाधनों को क्षणभर में राख में परिवर्तित कर देगा परिणामस्वरूप संसाधनों का अभाव हो जाएगा।

अतः हमें आर्थिक विकास में लालची नहीं होना चाहिए। इसके लिए यह भी आवश्यक है कि विश्व के समस्त देश धरती पर उपलब्ध संसाधनों का विवेकपूर्ण, सुनियोजित एवं मितव्ययी ढंग से उपयोग करें। इसके अतिरिक्त विभिन्न वैज्ञानिक कल्याण अनुसंधानों एवं विधियों की सहायता से नये-नये संसाधनों की खोज करें तभी विश्व का कल्याण सम्भव है।

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